चाँद मुस्कुराया है........
चाँद मस्कुराया है , ज़रा आँगन बुहार लूँ आज ;
आसमाँ लुभाया है, ज़रा आँगन उजार लूँ आज !
मुंसिफ है , सबके अफसानों की खबर रखता है ;
नज़र न लगे , ज़रा उस की नज़र उतार लूँ आज !
रूहों को हरी करता है दे के पुरनूर चाँदनी ;
रौशन है जहां , ज़रा उसको दिल में उतार लूँ आज !
कोई शबाहत ही नहीं , चाँद और दरिया में !!!
सिमटे हुए उस चाँद को, कैसे उभार लूँ आज ?
उस ख्वाब - ए - सबा को क्यों बिखरने का हो ग़म ;
चाँद का दामन है , शगूफ़ों गुलशन को ओहार लूँ आज !
वो प्रीतम !!! वो दोस्त है, है वो चराग -ए -रहगुज़र ;
बोल क्या नाम दूँ ? ज़रा साजन पुकार लूँ आज ??? .... '' तनु "
चाँद मस्कुराया है , ज़रा आँगन बुहार लूँ आज ;
आसमाँ लुभाया है, ज़रा आँगन उजार लूँ आज !
मुंसिफ है , सबके अफसानों की खबर रखता है ;
नज़र न लगे , ज़रा उस की नज़र उतार लूँ आज !
रूहों को हरी करता है दे के पुरनूर चाँदनी ;
रौशन है जहां , ज़रा उसको दिल में उतार लूँ आज !
कोई शबाहत ही नहीं , चाँद और दरिया में !!!
सिमटे हुए उस चाँद को, कैसे उभार लूँ आज ?
उस ख्वाब - ए - सबा को क्यों बिखरने का हो ग़म ;
चाँद का दामन है , शगूफ़ों गुलशन को ओहार लूँ आज !
वो प्रीतम !!! वो दोस्त है, है वो चराग -ए -रहगुज़र ;
बोल क्या नाम दूँ ? ज़रा साजन पुकार लूँ आज ??? .... '' तनु "
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