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Sunday, March 22, 2015

चाँद मुस्कुराया है........ 



चाँद मस्कुराया है , ज़रा आँगन बुहार लूँ आज ;
आसमाँ लुभाया है,  ज़रा आँगन उजार लूँ आज !

मुंसिफ है , सबके अफसानों की खबर रखता है ;
नज़र न लगे , ज़रा उस की नज़र उतार लूँ आज !

रूहों को हरी करता है दे के पुरनूर चाँदनी ;
रौशन है जहां , ज़रा उसको दिल में उतार लूँ आज !

कोई शबाहत ही नहीं , चाँद और दरिया में !!!
सिमटे हुए उस चाँद को,  कैसे उभार लूँ आज ? 

उस ख्वाब - ए  - सबा को क्यों बिखरने का हो ग़म ;
चाँद का दामन है , शगूफ़ों गुलशन को ओहार लूँ आज !

वो प्रीतम !!! वो दोस्त है, है वो चराग -ए  -रहगुज़र ;
बोल क्या नाम दूँ ? ज़रा साजन पुकार लूँ आज  ???  .... '' तनु "






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