अभी तो ये इब्तदा है, कोई अंजाम नहीं है;
भरा हुआ पैमाना है, ये खाली जाम नहीं है!
हर वक़्त क्यों लगे हो खुद को सही सिद्ध करने में , ,,
जिंदगी तो जिंदगी है, कोई इल्जाम नहीं है !!.... ''तनु''
अभी तो ये इब्तदा है, कोई अंजाम नहीं है;
भरा हुआ पैमाना है, ये खाली जाम नहीं है!
हर वक़्त क्यों लगे हो खुद को सही सिद्ध करने में , ,,
जिंदगी तो जिंदगी है, कोई इल्जाम नहीं है !!.... ''तनु''
स्मृतियों के हार पहन, मौन हो गयी देह ;
अब तो इस संसार से, मुक्ति धाम की गेह !
तन पीड़ित मन रीतता, इस दुनिया के बीच ;
बरसों बरस लगा रहा, इस दुनिया से नेह !
कहाँ मिला था आसरा, यहीं कहीं है स्वर्ग ;
अब दुख का क्या काम है, बरसा हो जब मेह!
अनुभव की खेती हुई, फसल हुई भरपूर ;
जीवन संध्या काल है, उमर बन गयी खेह !
अनुभव की कीमत बहुत, इस दुनिया के बीच;
चाँदी जैसे केश हैं, उर दरिया है नेह !
जिनका नव संसार है, जीवन जिनका फूल ;
मुदितमना विहसित रहें, कभी नहीं हो छेह !.... ''तनु''
घूँट गम के कभी पिये होते ,
होंठ हर हाल तो सिये होते !
कोई इतना भी तो न था मुश्किल,
लफ्ज़ दिल के आर पार होते हैं,
सोच समझ कर कह लिये होते !
जो चुभी बात तीर के जैसी,
देर बाद कुछ कह लिये होते !
वक्त ये नहीं किनारा करने का,
साथ कभी तो बह लिये होते !
जिंदगी छोटी, शिकायतें लम्बी,
बिन कहे भी तो रह लिये होते !
दर किनार करते ख़ुशी अपनी,
मुझको अपना कह लिये होते !!
मिल बैठ 'तनु' कही सुनी होती,
दर्द के पहाड़ ढह लिये होते !..... ''तनु''
शाइस्ता नहीं माहौल शहर का, क़ुरबत नहीं रही !
मुरझा गये हैं फूल शजर पर, मुहब्बत नहीं रही !!
सुब्हा का मंज़र है धुंधला अब सबा ठहरी कहाँ ?
की खुशियाँ देख लेना आँख की चाहत नहीं रही !!... . ''तनु''
रगों में कलियाँ चटकी चटकी, अरमानों की बस्ती में !
चली उमंगें खनकी खनकी, हिमाकतों की कश्ती में !!
मनालें जश्ने उल्फत टूट के करलें आज मुहब्बत, ,,
जगी खामोशी दहकी दहकी, ख्वाहिशों की हस्ती में !!.... ''तनु''
गरीबी की कहानियाँ, लिखी गयी हैं स्वेद !
जीवन एक किताब है, कितने इसके भेद !!
किसी पेट को रोटियाँ, और कोई बेहाल , ,,
दिन दिहाड़ी बीत रहा, रात जताये खेद !!.... ''तनु''
शारदे माँ की महिमा, पारिजात की जात !
मेरी हिन्दी फूल सी, महक रही है बात !!
स्वर व्यंजन की गरिमा, ध्रुवपद नाद निनाद, ,,
मोती से आखर सभी, पढ़कर हो निष्णात !!.... "तनु"
चाँदनी चाँद की लजाने लगी!
रात भी अब ग़ज़ल सुनाने लगी!!
ख़्वाहिशों का हुजूम लेकर के!
गुम हुई चाह भी सताने लगी !!
मंज़िलें, राह, इश्क़ की बाँहें !
साथ हमराह अब लुभाने लगी !!
आपने कह दिया हमने माना !
झूला मदहोशियाँ झुलाने लगी !!
रंग में, कायनात, तरन्नुम भी !
ये ही तो सच है जताने लगी !!
जागता रूआं,रगें, धड़कने भी !
'तनु' यही इब्तिदा है बताने लगी !!... ''तनु''
आपने हँस के देखा तो जिंदगी गाने लगी !
इश्क अगर ऐसा है तो बंदगी आने लगी !!
दौलतें ही दौलतें हैं आज गरीबखाने में , ,,
एक खिड़की खोल दी, तो चाँदनी आने लगी !!... ''तनु''
ज्ञान पिपासा बावरी, नीयत इसकी नेक !
प्यासी की प्यासी रही, पीये कूप अनेक !!... ''तनु''
तेरे बग़ैर किससे रूठूँ किसको मनाऊँ !
ख्वाहिशें कितनी सभी भूलूँ किसको जताऊँ !!
बेज़ार हैं गुल और चिड़ियों की चहक नहीं , ,,
कैसे वीणा तार छेड़ूँ किसको सुनाऊँ !! ... ''तनु''
हुई कहाँ जाने की लो जी सुबह सुबह तैयारी ??
गजानना आओ सजा रखी है मोदक की थारी ,
और कहीं की करना ना तुम जाने की तैयारी , ,,
भोग लगाओ मोदक तो आये हमरी भी बारी !!... 'तनु'