जीवन में राह दिखाई, अाभार जताऊँ किस तरह ,
शिक्षक बन आप वशिष्ठ थे मैं बन सका न राम !!
बिखरे हैं माला के मनके,माला बनाऊँ किस तरह ,
सांदीपनी आप समक्ष थे मैं बन सका न घनश्याम !!
दीप बन गुरु खड़े हैं मेरे , प्रकाश पाऊँ किस तरह ,
गुरु परमहंस के सामने मेरा विवेकानंद नहीं नाम !!
गुरु बिन साज भी बजे न , --- मैं गाऊँ किस तरह ,
चरण वन्दना मैं कैसे करूँ -नित ध्याऊँ कैसे नाम !!
आप शुक्राचार्य, बृहस्पति !!!विनय जताऊँ किस तरह ,
नयन बिना मैं अंधा हूँ , जैसे दीपक बिना नहीं धाम !!
सार्थक जीवन की राह बिन गुरु पाऊँ किस तरह ,
राह दिखाते, चाह जगाते, करूँ नमन सुबह शाम !!
दोहा बने नहीं, बिन रोला मैं छंद बनाऊँ किस तरह ,
वर्ण खोए, आठों याम भटक रहे पाया नहीं आयाम !!
वाणी वाणी न पाए ,मैं स्वरहीन गुनगुनाऊँ किस तरह ,
भाव भक्ति नहीं, मैं पदविहीन, गुणहीना ''तनु'' बदनाम !! ……''तनु ''
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