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Wednesday, September 3, 2014



 जीवन में राह दिखाई, अाभार जताऊँ  किस तरह ,
 शिक्षक बन आप वशिष्ठ थे मैं बन सका न राम !! 

 बिखरे हैं माला के मनके,माला बनाऊँ किस तरह ,
 सांदीपनी आप समक्ष थे मैं बन सका न घनश्याम !!

 दीप बन गुरु खड़े  हैं मेरे , प्रकाश पाऊँ किस तरह ,

 गुरु परमहंस के सामने मेरा विवेकानंद नहीं नाम !!

 गुरु बिन साज भी बजे न , --- मैं गाऊँ किस तरह ,

 चरण वन्दना मैं कैसे करूँ -नित ध्याऊँ कैसे नाम !!

 आप शुक्राचार्य, बृहस्पति !!!विनय जताऊँ किस तरह ,

 नयन बिना मैं अंधा हूँ ,  जैसे दीपक बिना नहीं धाम !!

 सार्थक जीवन की राह बिन गुरु पाऊँ किस तरह ,

 राह दिखाते, चाह जगाते, करूँ नमन सुबह शाम !!

  दोहा बने नहीं,  बिन रोला मैं छंद बनाऊँ किस तरह ,
  वर्ण खोए,  आठों याम भटक रहे पाया नहीं आयाम !!

  वाणी वाणी न पाए ,मैं स्वरहीन गुनगुनाऊँ किस तरह ,

  भाव भक्ति नहीं, मैं पदविहीन, गुणहीना ''तनु'' बदनाम !! ……''तनु ''




















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