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Saturday, September 13, 2014






सब भाषाओं की माँ है सरस्वती ---प्यारी हिन्दी  मेरी !
मान बढ़ाती हम अभिमान हैं करते प्यारी हिन्दी मेरी !! 
सब भाषा  ................... 

गुलदस्ते के--- सारे फूलों में फूल वो गुलाब का !
सपनों को रोज़ सजाए पर बन कर- सुर्खाब का !
घुल जाती यूँ मन में ऐसे मिश्री की डली हो जैसे  …
भौंरे आकर गुण गान सुनाते ऐसी हिंदी मेरी !
सब भाषाओं की माँ है सरस्वती प्यारी हिन्दी मेरी !!
मान बढ़ाती………… 

दीपावली के दीपों में जगमग प्रकाश होता है !
भाव सजा के कवि कविता के मोती पोता है !
भाव सजाते चलते शब्द ज्वाजल्यमान हों जैसे  …
नभ के चन्दा सूरज चमकते ऐसी हिन्दी मेरी !
सब भाषाओं की माँ है सरस्वती प्यारी हिन्दी मेरी !!
मान बढ़ाती …………
…  
बुलबुल जैसे गाये तराना कोयल कुहूकती जाए !
झरना झर झर नदिया कलकल कह बहती जाए !
हिन्दी  भाषा सौन्दर्यवान है अक्षर मोती जैसे .... 
ज्ञान जगाती पाठ पढ़ाती प्यारी हिन्दी  मेरी !
सब भाषाओं की माँ है सरस्वती प्यारी हिन्दी मेरी !!
मान बढ़ाती………… ''तनु ''

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