जीवन में संयम, समाज में संयम, की ढील हुई ,
परिजन ही खतरा बने , कन्याओं की लील हुई ,
दीपक का उजाला हो या चमक हो सूरज की !!!
रोशनी स्वयं ही, मांस - लोथड़े खाती चील हुई ,,,''तनु ''
परिजन ही खतरा बने , कन्याओं की लील हुई ,
दीपक का उजाला हो या चमक हो सूरज की !!!
रोशनी स्वयं ही, मांस - लोथड़े खाती चील हुई ,,,''तनु ''
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