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Thursday, September 4, 2014



 त्रिवेणी .......... 

बिन दोहा बिन रोला मैं कैसे छंद बनाऊँ  ?
 आठों याम भटक रहा पाया नहीं आयाम !!


 व्यास पीठ पर गुरु बैठे पाये चारों धाम !!!…''तनु ''




शिक्षक दिवस पर .......... 

दिव्य ज्ञान की खोल पोटली,
शिक्षक शिष्य को पढ़ाते पाठ !
मैली धोती धो अज्ञान की , 
ज्ञान के मोती देते हैं टाँक !!

रात अन्धेरी जैसे सूरज ,
पल में देता दूर भगा !
कर्म धर्म के झीने भ्रम ,
शब्द से गुरुवर देते मिटा !!

सोच जगत में न तू है बड़ा ,
सोच न है तेरी जात  बड़ी !
अभिमान को त्याग कर ,
दे कर परीक्षा कड़ी कड़ी !!

किससे सीखा किससे पाया , 
गुरु ओ मात पिता की छाया !!
लज्जा मर्यादा साथ है तेरे ,
तभी तो तेरा कुल तर पाया !!

कच्चा घड़ा है नन्ही काया ,
चाह कर क्यों मूल गँवाया !
काम क्रोध तृष्णा को तज कर,
गुरु बना और पार उतर जा !!.... ''तनु ''




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