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Saturday, September 20, 2014


मान लो , चन्दा तुम हो   सदा के चोर , 
उस अदालत आओ …जो लगती भोर !
क्यों छुप जाते हो ले अपने सब संगी ,
ओढनी !!! तारों की ले .....  नई नकोर !!! ''तनु ''

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