''माँ ''
मन अथाह सागर है गहरा,
''माँ'' महिमा कैसे गाऊँ !
जितना भी मैं चाहूँ लिखना ,
कुछ भी मैं न लिख पाऊँ !!
दृष्टि तुम्हारी पावन पावन ,
दिल पर छाया करती है !
और कामनाएं मेरे मन की ,
तुम्हारी दृष्टि तले सँवरती है !
सूरज की लाली लेकर मैं ,
''माँ ''अक्षत कुमकुम बिखराऊँ !!
जितना ……………
मेरी जिव्हा का पहला शब्द ,
भगवान से पहले ''माँ''आया !
मेरी राहों का पहला कदम ,
माँ तुम तक ही तो आया !
चाँदनी ले तुमसे शीतलता ,
''माँ ''तुमसा शीतल कैसे हो पाऊँ !!
जितना ……………
मेरे प्राणों संग प्राण तुम्हारे ,
तुमसे ही तो जीवन मेरा !
मेरी हंसी की निश्चलता ,
तेरे नयनों के भाव भरे !
फूलों से रंग भीनें लेकर ,
''माँ ''तेरी चुनर को रंगता जाऊँ !!
जितना ……………
जितनी खुशियाँ जितने सुख ,
तुमसे ही तो जो मैंने हैं पाये !
तुमने ही तो राहों में मेरी ,
जगमग जगमग दीप जलाये !
दीपकों का उजियारा लेकर ,
''माँ''मैं सूरज सा बन जाऊँ !!
जितना भी मैं चाहूँ लिखना ,
कुछ भी मैं न लिख पाऊँ …''तनु ''
मन अथाह सागर है गहरा,
''माँ'' महिमा कैसे गाऊँ !
जितना भी मैं चाहूँ लिखना ,
कुछ भी मैं न लिख पाऊँ !!
दृष्टि तुम्हारी पावन पावन ,
दिल पर छाया करती है !
और कामनाएं मेरे मन की ,
तुम्हारी दृष्टि तले सँवरती है !
सूरज की लाली लेकर मैं ,
''माँ ''अक्षत कुमकुम बिखराऊँ !!
जितना ……………
मेरी जिव्हा का पहला शब्द ,
भगवान से पहले ''माँ''आया !
मेरी राहों का पहला कदम ,
माँ तुम तक ही तो आया !
चाँदनी ले तुमसे शीतलता ,
''माँ ''तुमसा शीतल कैसे हो पाऊँ !!
जितना ……………
मेरे प्राणों संग प्राण तुम्हारे ,
तुमसे ही तो जीवन मेरा !
मेरी हंसी की निश्चलता ,
तेरे नयनों के भाव भरे !
फूलों से रंग भीनें लेकर ,
''माँ ''तेरी चुनर को रंगता जाऊँ !!
जितना ……………
जितनी खुशियाँ जितने सुख ,
तुमसे ही तो जो मैंने हैं पाये !
तुमने ही तो राहों में मेरी ,
जगमग जगमग दीप जलाये !
दीपकों का उजियारा लेकर ,
''माँ''मैं सूरज सा बन जाऊँ !!
जितना भी मैं चाहूँ लिखना ,
कुछ भी मैं न लिख पाऊँ …''तनु ''
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