दूर के दाग !!!
सुहाने नहीं होते ,
पीड़ित मन ,,,,
दाग धो रही ,
ये उद्दाम लहरें !!!
नाता धरा का ,
विधु विनोद,
ज्वार भाटा सुरम्य,
खेल विधि का !!!
दागमय तू ?
लहर पहाड़ छू ,,,,,,,
वन अकेला !!!
ज्वार उमड़ा,
छूने नभ का चाँद ,,
विवश धरा ,,,''तनु ''
छूने नभ का चाँद ,,
विवश धरा ,,,''तनु ''
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