काट दिए सब.. वृक्ष हमने जिनसे पानी मिलता था ,
जिन्हे देख कर हमारे इस दिल का फूल खिलता था !
भुगत रहे हैं अब हम अतिवृष्टि अनावृष्टि दृष्टि दृष्टि ,
विधाता तू कहाँ है जो कभी मंदिर मंदिर मिलता था !!''तनु ''
जिन्हे देख कर हमारे इस दिल का फूल खिलता था !
भुगत रहे हैं अब हम अतिवृष्टि अनावृष्टि दृष्टि दृष्टि ,
विधाता तू कहाँ है जो कभी मंदिर मंदिर मिलता था !!''तनु ''
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