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Tuesday, September 30, 2014

मैं मुमुक्षु बन माँ ---द्वार तुम्हारे आया !
कितना पापी हूँ माँ ,कल्मष धोने आया !
हे महागौरी  काज सवांरो ,,,
मैं द्वार तुम्हारे आया !!
मैं मुमुक्षु …………

गौर वर्ण है  तुम्हारा तुम महा गौरी कहलाती हो !
कुंद के फूल ,शंख , चन्द्र सी श्वेताम्बरा धारी हो !
अष्टवर्षा भवेद हो चांदनी ने तुम्हे नहलाया !!
 हे महागौरी  काज सवांरो ,,,
मैं द्वार तुम्हारे आया !!  मैं मुमुक्षु …………


चार भुजा है, वाहन वृष है, --- वृषारूढ़ा कहलाती हो !
अभय , वर मुद्रा है, अमोघफलदायिनी कहलाती हो !
कठोर तपस्या करके माँ ने महादेव को पाया !!
 हे महागौरी  काज सवांरो ,,,,
मैं द्वार तुम्हारे आया !!  मैं मुमुक्षु …………


पाप हरके हमारे,, हमको अलौकिक सिद्धियां देती हो !
डमरू, त्रिशूल की महिमा न्यारी भव पार लगा देती हो !
गंगाजल से नहाकर  नाम महागौरी कहलाया!!
 हे महागौरी  काज सवांरो ,,,,,,,,
मैं द्वार तुम्हारे आया !!  मैं मुमुक्षु … ''तनु ''








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