बापू
किस दासत्व से मुक्त हुए हम !!
हम थे जहां ----वहीँ पर हैं हम !!
रामराज का पाठ पढ़ाकर ,,,,,
बापू कहाँ हुए तुम ग़ुम !
बापू तुम्हारे प्रेम की बगिया ,
बिलकुल ही मुरझाई है !
फूलों की रुत आती नहीं है ,
कड़ी कंटीली झाडी है !
आज तो बरसाओ आकर,,,,,
फूलों पर शबनम !!
सत्य का दीप जलाकर,,,,,,
बापू कहाँ हुए तुम गुम !! …किस
नफ़रत हिंसा गोली बारी ,
दानवता निंदा ओ गाली !
जन संवेदना उड़ गयी यों ,
बन कपूर की जैसे गोली !
अब न दुखाओ जन मन,,,,,
आजाओ मन के आलम्बन !!
अहिंँसा की राह दिखाकर,,,,,
बापू कहाँ हुए तुम ग़ुम !! … किस
मन मस्जिद शिवाला टूटा,
देव हमसे ------दूर है रूठा !
जन्म दिवस पर धर्म है पूजा ,
मानव मानव गले मिलेंगें !
भारत माँ का पूजन अर्चन ,,,,
आओ लेकर रोली चन्दन !!
धर्म की राह दिखाकर ,,,,,
बापू कहाँ हुए तुम ग़ुम !! ....
किस दासत्व से मुक्त हुए हम !!
हम थे जहां ----वहीँ पर हैं हम !! ----''तनु '' .
किस दासत्व से मुक्त हुए हम !!
हम थे जहां ----वहीँ पर हैं हम !!
रामराज का पाठ पढ़ाकर ,,,,,
बापू कहाँ हुए तुम ग़ुम !
बापू तुम्हारे प्रेम की बगिया ,
बिलकुल ही मुरझाई है !
फूलों की रुत आती नहीं है ,
कड़ी कंटीली झाडी है !
आज तो बरसाओ आकर,,,,,
फूलों पर शबनम !!
सत्य का दीप जलाकर,,,,,,
बापू कहाँ हुए तुम गुम !! …किस
नफ़रत हिंसा गोली बारी ,
दानवता निंदा ओ गाली !
जन संवेदना उड़ गयी यों ,
बन कपूर की जैसे गोली !
अब न दुखाओ जन मन,,,,,
आजाओ मन के आलम्बन !!
अहिंँसा की राह दिखाकर,,,,,
बापू कहाँ हुए तुम ग़ुम !! … किस
मन मस्जिद शिवाला टूटा,
देव हमसे ------दूर है रूठा !
जन्म दिवस पर धर्म है पूजा ,
मानव मानव गले मिलेंगें !
भारत माँ का पूजन अर्चन ,,,,
आओ लेकर रोली चन्दन !!
धर्म की राह दिखाकर ,,,,,
बापू कहाँ हुए तुम ग़ुम !! ....
किस दासत्व से मुक्त हुए हम !!
हम थे जहां ----वहीँ पर हैं हम !! ----''तनु '' .
No comments:
Post a Comment