Labels

Wednesday, October 29, 2014

हँसी  /  मुस्कान


चिड़ियों का गीत सुन, चहचहाने की ज़रूरत है !
ले कोयल की कुहू ,  गुनगुनाने की ज़रूरत है !!  
सारे गम भुला के गोदी  माँ की आ सो जाओ  ,,,,,
मुस्कान काफी नहीं खिलखिलाने की ज़रुरत है !


तितली !!! औ भौंरे फूलों की हँसी सी देखते हैं !
होठों की एक हँसी  दिल की ख़ुशी सी देखते हैं !!
रौनक नहीं है ज़माने में क्यों अब तुम्हारे बिना ,,, 
नहीं हर्फ़ !!! कागज़ को!!! या फिरी मसि सी देखते हैं 


मुस्कान लबों पे ले आई वो यादों की हिलोर थी !
हँसाती चल रही साथ मेरे ---वो सिंदूरी  भोर थी !!
पलों की हंसी पलों के आँसू क्या गुज़रा क्या जानूँ ,,,
जो उड़ चली संग पतंग के वो आशाओं की डोर थी !!!.... ''तनु ''






No comments:

Post a Comment