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Sunday, October 5, 2014

बलम गये झरिया ,,,
टूट गयी थरिया ,,,
दुखवा मैं कासे कहूँ हो !!!
बलम गए … 

सगुन असगुनवा के
बीच रहे मन 
फड़के है  नैन अब 
आये रहा सावन
फूट गयी कच्ची गगरिया हो!!! …
बलम गए …

हमरे अंगनवा में
फूले हैं गेंदवा 
चले पछुवाई
हरखे मन भावन  
भूल गए हमरी डगरिया हो!!! … 
बलम गए 

हमरी वो प्यारी सी
कांसे की थरिया
टूट गयी बहुतै ही 
आग लगावन 
चमकत थी कैसी बिजुरिया हो!!! … 
बलम गए 

 तनुजा ''तनु ''
प्रेरित अशोक शर्मा जी 





… 

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