चल अकेला .......
झुके बदली,,, जमी छू ले आसमाँ साथ उसके नहीं होता !
चलना अकेले ही होता है -- कारवां साथ उसके नहीं होता !!
गुलशन में गुल को क्यों न हो रश्क रंग-ओ- बू अपने !
खिलना अकेले ही होता है बागबाँ साथ उसके नहीं होता !!
जंग का मैदान हो , ----- हो कितने सिपाही आसपास !
लड़ना अकेले ही होता है पासबाँ साथ उसके नहीं होता !!
कायदा हो असूलों की हो जिंदगी असूलों से हो जिंदगी !
तनु उस पर नज़र न डालो गिरेबाँ साथ जिसके नहीं होता !!.... ''तनु ''
झुके बदली,,, जमी छू ले आसमाँ साथ उसके नहीं होता !
चलना अकेले ही होता है -- कारवां साथ उसके नहीं होता !!
गुलशन में गुल को क्यों न हो रश्क रंग-ओ- बू अपने !
खिलना अकेले ही होता है बागबाँ साथ उसके नहीं होता !!
जंग का मैदान हो , ----- हो कितने सिपाही आसपास !
लड़ना अकेले ही होता है पासबाँ साथ उसके नहीं होता !!
कायदा हो असूलों की हो जिंदगी असूलों से हो जिंदगी !
तनु उस पर नज़र न डालो गिरेबाँ साथ जिसके नहीं होता !!.... ''तनु ''
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