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Wednesday, October 29, 2014

जाने कुटिल सी क्यों हँसी आज तुम्हारी है,
बात की बात न , यूँ बनी बात तुम्हारी है !
करो मर्सिया ख्वानी तुम जिगर पे रख पत्थर ,
हूँ नाशाद !!! जो खूं सनी रात तुम्हारी है !

यूँ बेपरवाह जिंदगी न जियो लानत है ,
जानते नहीं उसूलों की भी कीमत है !
उसूलों से तुम्हारी मुस्कान मुस्कान है,
नहीं तो जिंदगी में लग जाती दीमक है !!

कोई जब पास होकर भी पास नहीं ,
हंस लो अपने पर तुम भी खास नहीं !
राह में जिसके भटकना ही लिखा हो ,
मंज़िल उसकी पास होकर भी पास नहीं !

घबरा के मर जाना  इतना आसान नहीं !
हर जगह मिलता ये मौत का सामान नही!!
काश वो हँसके  कहते के  मैं तुम्हारा हूँ ,,,,,,,
फिर मिलता या मिलता उनका दामान नहीं !!!

ये मुश्किल की घडी है हमें हंसी नहीं आती !
अब याद तुम्हारी मेरे दिल से नहीं जाती !!
कहो कहाँ जाके अब ये दिल की कहूँगा मैं ! 
बिन  तुम्हारे कोई सूरत नज़र नहीं आती !!.... ''तनु ''





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