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Friday, October 31, 2014

महानगर 
शरद की खुली खुली सी शाम  वो !
जेठ की जली जली  सी घाम वो !!
भागना ही जिंदगी है यहाँ की ,
कहाँ ?? सुहानी अवध की शाम वो !!… ''तनु ''

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