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Saturday, October 25, 2014

चांदनी रात है लो फिर हुआ     चाँद का जिक्र है !
खुश हूँ के उदास हूँ तेरे मेरे अरमान का जिक्र है !!

चाँद सर पर  तो  कभी काँधे पे बैठा होता है !
कदमो में न उतर आये इसी की तो फ़िक्र है !!

रोज़ आता है वो और खुशियाँ बिखेर जाता है !
जानता हूँ मेरे जीने की उसको ही तो फ़िक्र है !!.... ''तनु ''


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