चांदनी रात है लो फिर हुआ चाँद का जिक्र है !
खुश हूँ के उदास हूँ तेरे मेरे अरमान का जिक्र है !!
चाँद सर पर तो कभी काँधे पे बैठा होता है !
कदमो में न उतर आये इसी की तो फ़िक्र है !!
रोज़ आता है वो और खुशियाँ बिखेर जाता है !
जानता हूँ मेरे जीने की उसको ही तो फ़िक्र है !!.... ''तनु ''
खुश हूँ के उदास हूँ तेरे मेरे अरमान का जिक्र है !!
चाँद सर पर तो कभी काँधे पे बैठा होता है !
कदमो में न उतर आये इसी की तो फ़िक्र है !!
रोज़ आता है वो और खुशियाँ बिखेर जाता है !
जानता हूँ मेरे जीने की उसको ही तो फ़िक्र है !!.... ''तनु ''
No comments:
Post a Comment