मित्रों नमन ……
पाठ :-4
कल हमने स्वरों के बारे में समझा…… आज की अगली कड़ी में हम शुरू करते हैं मात्रा से,
मात्रा :- यदि हम स्वर और व्यंजन की मात्रा को जाने तो अ, इ, उ स्वर एक मात्रिक होते हैं ……
क से ह तक के सारे व्यंजन एक मात्रिक होते हैं..... क से ह तक के व्यंजनों में इ ,उ स्वर जुड़ जाए यानि छोटी इ की मात्रा छोटे उ की मात्रा जुड़ जाए तो भी अक्षर एक मात्रिक ही रहते हैं … अर्धचन्द्राकार बिंदी युक्त स्वर तथा व्यंजन एक मात्रिक होते हैं ……
समझें …
कुमकुम = १,१,१,१
हँस = १,१ अमल = १,१,१
चल = १,१
अनहद १,१,१,१
इति १,१
अनवरत १,१,१,१,१
विष = १,१
जब किसी वर्ण के उच्चारण में हस्व से अधिक समय लगता है तो उसे दीर्घ वर्ण मानते हैं तथा उसकी गिनती दो मात्रा में होती है जैसे ''आ'' ये 2 मात्रिक है …
आ ,ई, ऊ ,ए ,ऐ ,ओ ,औ ,अं अः ये स्वर दीर्घ मात्रा हैं अर्थात इनकी गिनती २ मात्रा की होगी ,
अब क से ह तक के व्यंजनों में उपरोक्त स्वर यदि जुड़ते हैं तो इनकी गिनती दो मात्रा की हो जायेगी ,
उदाहरण के लिए यदि क व्यंजन में आ ,ई, ऊ ,ए ,ऐ ,ओ ,औ , अं अः ये स्वर जुड़ें तो मात्रा दो की होगी जैसे ---- का की कू के कै को कौ कं कः …………
संयुक्ताक्षर जैसे क्ष, त्र , ज्ञ ये भी दो मात्रा के होते हैं ,
अनुस्वार (ंं) तथा विसर्ग (:) युक्त स्वर और व्यंजन भी दो मात्रा के होते हैं ....
समझें....
मा २
माता २२
लाएगा २२२
अब हम ये जानने की कोशिश करें की यदि अर्धव्यंजन हो तो उसकी मात्रा की गिनती कैसे हो?
पाठ :-4
कल हमने स्वरों के बारे में समझा…… आज की अगली कड़ी में हम शुरू करते हैं मात्रा से,
मात्रा :- यदि हम स्वर और व्यंजन की मात्रा को जाने तो अ, इ, उ स्वर एक मात्रिक होते हैं ……
क से ह तक के सारे व्यंजन एक मात्रिक होते हैं..... क से ह तक के व्यंजनों में इ ,उ स्वर जुड़ जाए यानि छोटी इ की मात्रा छोटे उ की मात्रा जुड़ जाए तो भी अक्षर एक मात्रिक ही रहते हैं … अर्धचन्द्राकार बिंदी युक्त स्वर तथा व्यंजन एक मात्रिक होते हैं ……
समझें …
कुमकुम = १,१,१,१
हँस = १,१ अमल = १,१,१
चल = १,१
अनहद १,१,१,१
इति १,१
अनवरत १,१,१,१,१
विष = १,१
जब किसी वर्ण के उच्चारण में हस्व से अधिक समय लगता है तो उसे दीर्घ वर्ण मानते हैं तथा उसकी गिनती दो मात्रा में होती है जैसे ''आ'' ये 2 मात्रिक है …
आ ,ई, ऊ ,ए ,ऐ ,ओ ,औ ,अं अः ये स्वर दीर्घ मात्रा हैं अर्थात इनकी गिनती २ मात्रा की होगी ,
अब क से ह तक के व्यंजनों में उपरोक्त स्वर यदि जुड़ते हैं तो इनकी गिनती दो मात्रा की हो जायेगी ,
उदाहरण के लिए यदि क व्यंजन में आ ,ई, ऊ ,ए ,ऐ ,ओ ,औ , अं अः ये स्वर जुड़ें तो मात्रा दो की होगी जैसे ---- का की कू के कै को कौ कं कः …………
संयुक्ताक्षर जैसे क्ष, त्र , ज्ञ ये भी दो मात्रा के होते हैं ,
अनुस्वार (ंं) तथा विसर्ग (:) युक्त स्वर और व्यंजन भी दो मात्रा के होते हैं ....
समझें....
मा २
माता २२
लाएगा २२२
अब हम ये जानने की कोशिश करें की यदि अर्धव्यंजन हो तो उसकी मात्रा की गिनती कैसे हो?
आइये समझें ……
अर्धव्यंजन एक मात्रिक होता है परन्तु स्वतंत्र रूप में वह लघु नहीं होता यदि अर्धव्यंजन के पहले लघुमात्रिक अक्षर है तो उसके साथ जुडेगे और दोनों मिलेंगे और दीर्घ मात्रिक हो जायेंगे।
जैसे कथ्य ---
क = १
थ = आधा = १ मात्रा
य = १
कथ्य २,१ मात्रा
इसके और उदाहरण देखें
सत्य = २,१
ह्त्या = २,२
मृत्यु = २,१
मान लीजिये पूर्व का अक्षर दीर्घमात्रिक है तो यहाँ पर लघु की मात्रा लुप्त हो जायेगी.......
आइये समझें ……
आत्मा = २,२
महात्मा = १,२,२
जब अर्ध व्यंजन शब्द के प्रारम्भ में आता है तब भी यही नियम लागू होगा यानि अर्धव्यंजन की मात्रा गुम हो जायेगी …
समझें ....
स्नान = २,१
मैं आशा करती हूँ कि ये लेख आपके काम आएगा इसकी त्रुटियाँ या अगर इसमें कुछ और जो मात्राओं की गणना से सम्बंधित हो जोड़ना चाहते हैं , तो अवश्य कहें मैं जानना चाहूँगी …
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