Labels

Sunday, October 5, 2014

दर्द - ए - दिल 

ग़ज़ल की बात मत करो ,  दिल टूटा टूटा सा है ,
आंसू के हैं अशआर कोई अब  रूठा रूठा सा है !

खुला सा आसमान था , हवा भी गीत गाती थी,
जी चाँद का बादलों के दामन में घुटा घुटा सा है !

रहनुमा था , दामन में खुशियाँ लिए चलता था ,
बदल गयी है तकदीर दरवेश लुटा लुटा सा है !

ज़ख़म हरा और जले पर नमक है छिड़का हुआ ,
मरा है ज़मीर इंसा का हर शख्स कुटा कुटा सा है !

हर फूल पर उड़ते थे ''तनु '' तितलियों की तरह ,
अँगुलियों पर उसके कोई रंग छूटा छूटा सा है !!!.  '' तनु "



























No comments:

Post a Comment