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Tuesday, October 14, 2014

लेखनी  …… 


साहित्य को समृद्ध  करती है लेखनी,
आखर के मोती ----- झरती है लेखनी !
बन जीवन --- मन संवाद सहयोगिनी,
जान कथा विषय---- भरती है लेखनी !!

रसानुभूति ले अलंकारित रहती है लेखनी ,
काव्यगीत गा प्रेमगीत मन गति है लेखनी !
पुस्तक से इतिहास बनाती महिमामयी ,
पर्वत झरने कुंद इंदु में रंग भरती है लेखनी !!

सिहों की दहाड़ गरज सुनाती है लेखनी ,
कुहुक कोयल की सहज गाती है लेखनी !
लेखन के कौशल न्यारे ,प्यारे , दुलारेपल,
चित्रमय कहानी सुहानी बनाती है लेखनी !!

स्वाभिमान जोश दे, गरजती है लेखनी ,
मीठी सावनी फुहार में बरसती है लेखनी 
मधुवंती यामिनी हो या जेठ की तपन ,
प्यार से मधुमास ले सरसती है लेखनी !!

दिल हार दे,---  दिल जीत ले ,मन मीत ले , 
हरा दे , हार कर फिर जीत ले, ले गीत ले !
बना ले कलम को तू अपना मीत ,
ले गीत ले !! बना मीत ले !! और जीत ले !!! तनुजा ''तनु ''



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