लेखनी ……
साहित्य को समृद्ध करती है लेखनी,
आखर के मोती ----- झरती है लेखनी !
बन जीवन --- मन संवाद सहयोगिनी,
जान कथा विषय---- भरती है लेखनी !!
रसानुभूति ले अलंकारित रहती है लेखनी ,
काव्यगीत गा प्रेमगीत मन गति है लेखनी !
पुस्तक से इतिहास बनाती महिमामयी ,
पर्वत झरने कुंद इंदु में रंग भरती है लेखनी !!
सिहों की दहाड़ गरज सुनाती है लेखनी ,
कुहुक कोयल की सहज गाती है लेखनी !
लेखन के कौशल न्यारे ,प्यारे , दुलारेपल,
चित्रमय कहानी सुहानी बनाती है लेखनी !!
स्वाभिमान जोश दे, गरजती है लेखनी ,
मीठी सावनी फुहार में बरसती है लेखनी
मधुवंती यामिनी हो या जेठ की तपन ,
प्यार से मधुमास ले सरसती है लेखनी !!
दिल हार दे,--- दिल जीत ले ,मन मीत ले ,
हरा दे , हार कर फिर जीत ले, ले गीत ले !
बना ले कलम को तू अपना मीत ,
ले गीत ले !! बना मीत ले !! और जीत ले !!! तनुजा ''तनु ''
साहित्य को समृद्ध करती है लेखनी,
आखर के मोती ----- झरती है लेखनी !
बन जीवन --- मन संवाद सहयोगिनी,
जान कथा विषय---- भरती है लेखनी !!
रसानुभूति ले अलंकारित रहती है लेखनी ,
काव्यगीत गा प्रेमगीत मन गति है लेखनी !
पुस्तक से इतिहास बनाती महिमामयी ,
पर्वत झरने कुंद इंदु में रंग भरती है लेखनी !!
सिहों की दहाड़ गरज सुनाती है लेखनी ,
कुहुक कोयल की सहज गाती है लेखनी !
लेखन के कौशल न्यारे ,प्यारे , दुलारेपल,
चित्रमय कहानी सुहानी बनाती है लेखनी !!
स्वाभिमान जोश दे, गरजती है लेखनी ,
मीठी सावनी फुहार में बरसती है लेखनी
मधुवंती यामिनी हो या जेठ की तपन ,
प्यार से मधुमास ले सरसती है लेखनी !!
दिल हार दे,--- दिल जीत ले ,मन मीत ले ,
हरा दे , हार कर फिर जीत ले, ले गीत ले !
बना ले कलम को तू अपना मीत ,
ले गीत ले !! बना मीत ले !! और जीत ले !!! तनुजा ''तनु ''
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