मित्रों नमन ......
पाठ 3 :-
पाठ 3 :-
जैसा कि बहन दीपिका जी और परिवार के अन्य सदस्य भी ये चाहते हैं कि छंद रचना से पहले सदस्यों का परिचय छंद शास्त्र की मूलभूत बातों से हो।
कोई भी काव्यात्मक रचना जो निश्चित मात्रा संख्या या निश्चित मात्रा पुंज (गण ) या निश्चित वर्ण संख्या के आधार पर आधारित हो छंद कहलाती है और यही काव्यात्मक रचना कविता कहलाती है।
इस प्रकार छंद की परिभाषा ये बनी ………………
'''''''मात्रा , वर्ण की रचना , विराम गति का नियम और चरणान्त में समता जिस कविता में पाया जाए वही छंद है यानि उसी को छंद कहते हैं ''''''''
छंद की रचना करने के लिए यह जरुरी नहीं कि आप बहुत बड़े छंद शास्त्री हों पर मूलभूत बातों को जानने के लिए जिस छंद की रचना हम करने जा रहे हैं उसके मूल विधान को जानना ज़रूरी है।
लीजिये जी हम शुरू से शुरू करते हैं
वर्ण
वर्ण दो प्रकार के होते हैं १- हस्व वर्ण
२- दीर्घ वर्ण
१- हस्व वर्ण - हस्व वर्ण को लघु मात्रिक माना जाता है और इसे मात्रा गणना में १ मात्रा गिना जाता है तथा इसका चिन्ह "|" है|
२- दीर्घ वर्ण - दीर्घ वर्ण को गुरू मात्रिक माना जाता है और इसे मात्रा गणना में २ मात्रा गिना जाता है तथा इसका चिन्ह "S" है
चूँकि अब तक हिन्दी छंद समूह में छंद पर ऐसा कोई लेख नहीं है जिसमें छंद के मूलभूत तत्वों पर विस्तृत चर्चा हुई हो गौरतलब है कि मेरा ये दुस्साहस भरा कदम होगा क्योंकि मैं स्वयं भी हिन्दी छंद की मूलभूत बातों से ही परिचित हूँ अतः कोई चूक मुझसे अगर हो जाए तो अग्रजों से सुधीजनों से सहयोग की अपेक्षा है।
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