सबके श्रम का
सन्मान करें हम
उसमें ईमान भरें हम
उन दो हाथों को ?
करें मजबूत,
लिखें भरपूर ,
भावों के लड्डू
शब्दों के बूर
हम. …
कलम के मजदूर,,,,
श्रम साध्य बन
मन और दो आँखों को
रखें लक्ष्य
करें मजबूत
भव भावना भाव ?
बढ़ाए नूर,
हम....
कलम के मजदूर
मूल को सरें
रिसें न ज़ख़्म ,
कलम के
मुमकिन नामुमकिन ?
जज़्बातों के दरिया में
डूब न जाएँ
हो मजबूर
हम
कलम के मजदूर
मोल सत्य का ,
मोल धर्म का,
श्लोक की तरह
कंठस्थ
मस्तिष्क में
ज्वर आक्रोश
न हो गरूर ?
हम …
कलम के मजदूर। ………
सन्मान करें हम
उसमें ईमान भरें हम
उन दो हाथों को ?
करें मजबूत,
लिखें भरपूर ,
भावों के लड्डू
शब्दों के बूर
हम. …
कलम के मजदूर,,,,
श्रम साध्य बन
मन और दो आँखों को
रखें लक्ष्य
करें मजबूत
भव भावना भाव ?
बढ़ाए नूर,
हम....
कलम के मजदूर
मूल को सरें
रिसें न ज़ख़्म ,
कलम के
मुमकिन नामुमकिन ?
जज़्बातों के दरिया में
डूब न जाएँ
हो मजबूर
हम
कलम के मजदूर
मोल सत्य का ,
मोल धर्म का,
श्लोक की तरह
कंठस्थ
मस्तिष्क में
ज्वर आक्रोश
न हो गरूर ?
हम …
कलम के मजदूर। ………
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