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Sunday, May 10, 2015




दोस्ती में तेरी----- मैं नादान बन गया 
मैं मानता हूँ ------ मैं इंसान बन गया 

हश्र में    ---  निगाह तेरी तरफ ही थी
जान-बूझकर क्यों तू अनजान बन गया   

देखा किये हमीं को    हँसते रहे हमीं पर 
क्यों सोचते थे सब ?  तू इंसान बन गया 

सोचता यूँ झुक कर    तू दस्त थाम लेगा
मुँह क्यों फेरा तूने तेरा अरमान बन गया

धीरे धीरे लिए जाता हूँ मैं कश्ती कनारे पे 
साहिल तुझे समझा था तू तूफ़ान बन गया , ,,.... ''तनु ''

           






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