अमिय बरसाते अभ्र को, निखार लेता हूँ ;
मैं फूलों की खुशबू को, निहार लेता हूँ !
धर नहीं धरा पर हूँ धारा से दूर नहीं, ,,,
पल्लव चुरा नीहार को. निहार लेता हूँ !
मैं फूलों की खुशबू को, निहार लेता हूँ !
धर नहीं धरा पर हूँ धारा से दूर नहीं, ,,,
पल्लव चुरा नीहार को. निहार लेता हूँ !
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