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Wednesday, May 20, 2015

फिर न कहना याद आये और आँसू न आये ;
हाँ जेहनी सहूलियत याद और आँसू न आये! 

हसरत न थी तेरी जानिब रंज ही पाया मैंने !
मेरे मुकद्दम में तू था ? और आँसू  न आये, ,, 

न खुद को जान पाया न जमाने को ही जाना ; 
मुहब्बत थी तेरी याद थी, और आँसू न आये !

शाम उदास है, बेकल है दरिया, और तनहा हूँ ; 
चाहती हूँ जी भर के रोना, और आँसू  न आये !! 

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