फिर न कहना याद आये और आँसू न आये ;
हाँ जेहनी सहूलियत याद और आँसू न आये!
हसरत न थी तेरी जानिब रंज ही पाया मैंने !
मेरे मुकद्दम में तू था ? और आँसू न आये, ,,
न खुद को जान पाया न जमाने को ही जाना ;
मुहब्बत थी तेरी याद थी, और आँसू न आये !
शाम उदास है, बेकल है दरिया, और तनहा हूँ ;
चाहती हूँ जी भर के रोना, और आँसू न आये !!
हाँ जेहनी सहूलियत याद और आँसू न आये!
हसरत न थी तेरी जानिब रंज ही पाया मैंने !
मेरे मुकद्दम में तू था ? और आँसू न आये, ,,
न खुद को जान पाया न जमाने को ही जाना ;
मुहब्बत थी तेरी याद थी, और आँसू न आये !
शाम उदास है, बेकल है दरिया, और तनहा हूँ ;
चाहती हूँ जी भर के रोना, और आँसू न आये !!
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