याद
सुन !!
चल न !आज
फिर किसी याद के घर चलें !!
दिन आया !!
दिन बाद
फिर किसी याद के घर चलें !!
दिल मेरा चाहता ही न था , के कोई सुकून से बैठे;
रह रह के सताती थी तेरी याद!!! के ! याद के घर चलें !
उम्र की थकन अब सुनाने लगीं कहानियाँ कई ?
जिस्म से हो बे-नियाज़, किसी याद के घर चलें !
जिंदगी बे- हदफ़ बीती, ये जानकर मामूर था;
बे- निशान हैं , कोई न !!! किसी याद के घर चलें !
दीदावर चले, कद्दावर चले ,राख उम्र की छोड़ कर;
इससे आगे धुँआ है, कौन ?? किस याद के घर चले ?
दिल को चाहिए न रखे कोई तमन्ना की हवस !
''तनु '' भूल कबाहत को, मीठी याद के घर चलें !!
बे -नियाज़=बिना चाहत, बे- हदफ़ = लक्ष्यहीन, मामूर=पता था, बे -निशान=जिसका निशान न हो कबाहत=दोष
सुन !!
चल न !आज
फिर किसी याद के घर चलें !!
दिन आया !!
दिन बाद
फिर किसी याद के घर चलें !!
दिल मेरा चाहता ही न था , के कोई सुकून से बैठे;
रह रह के सताती थी तेरी याद!!! के ! याद के घर चलें !
उम्र की थकन अब सुनाने लगीं कहानियाँ कई ?
जिस्म से हो बे-नियाज़, किसी याद के घर चलें !
जिंदगी बे- हदफ़ बीती, ये जानकर मामूर था;
बे- निशान हैं , कोई न !!! किसी याद के घर चलें !
दीदावर चले, कद्दावर चले ,राख उम्र की छोड़ कर;
इससे आगे धुँआ है, कौन ?? किस याद के घर चले ?
दिल को चाहिए न रखे कोई तमन्ना की हवस !
''तनु '' भूल कबाहत को, मीठी याद के घर चलें !!
बे -नियाज़=बिना चाहत, बे- हदफ़ = लक्ष्यहीन, मामूर=पता था, बे -निशान=जिसका निशान न हो कबाहत=दोष
No comments:
Post a Comment