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Kaavya
Thursday, May 28, 2015
बूँद थी नायाब आब की, वो चम - चम चमकती !
ताब थी पात पर आब की,
वो दम - दम दमकती !!
मंद पवन की
आई हिलोर
लगी
डोलने
यूँ ,,,,,,,,
बूझ तो पहेली आब
की ,
हूँ गम - गम गमकती !
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