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Wednesday, May 6, 2015


एक सुन्दर दिल !
अनघड़ घड़ सहारे से,
संस्कार के, समय के,
थपेड़ों से संवर निखर।
उज्जवल मज़बूत,
सबके मुक़ाबिल, ,,
शिक्षा देता समाज को,
बन गया गीता !!

एक सुकोमल दिल!
मासूम ! सहारे से ,
संस्कार के, समय के,
थपेड़ों से चोट खा टूट ?
बिखर कोमल, ,,
सबके मुक़ाबिल,
कमज़ोर था रोकर?
बना घट रीता ??

एक सुकुमार दिल !
पगडण्डियों पर चल,
बन राम की छाया,
 दुरूह जीवन, ,,
थपेड़ों से कहाँ संवरी ?
तब भी कमज़ोर,
अब भी कमज़ोर ?
बेटी जनक की ?
रहती राम घट सीता ??

एक दिल ?
नफरत औ प्यार के काबिल ?
मोम सा नरम वज्र सा कठोर ?
झरने सा बहता स्थिर ताल सा, ,,,,
समय बन भागता सा ?
ठहर साँस में ,
मौत के पैगाम,
लिए निशब्द ?
सबके घट बीता ????????









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