या खुदा रहम
खुशबू है हवाओं में, -- या आँधी की कहर है ;
रुखसत ''वो''हो रहा उसके हाथों की लहर है !
जब सोच ले गर ''वो''अब इंतज़ार क्यों करूँ ;
तबाह करने , पास उसके आठों ही पहर हैं !
सहरा है, मंज़िल दूर है और मरहले हैं कई ;
हवा में उन्माद, ये उड़ते गुबार की ठहर है !
जान क्या है? ना जान पाया जान मैं अंजान;
गूढ़ है, ''वो''अनसुलझे गाँठों की गहर है !
इस तस्वीर में ''वो ''तस्वीर के बाहर भी ''वो ''
मिटा रहा जहान , उसके इशारों की सहर है !
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