Labels

Tuesday, May 12, 2015


या खुदा रहम 



खुशबू है हवाओं में, --  या आँधी की कहर है ;
रुखसत ''वो''हो रहा उसके हाथों की लहर है !

जब सोच ले गर ''वो''अब इंतज़ार क्यों करूँ ;
तबाह करने , पास उसके आठों ही पहर हैं !

सहरा है, मंज़िल दूर है और मरहले हैं कई ;
हवा में  उन्माद, ये उड़ते गुबार की ठहर है !

 जान क्या है? ना जान पाया जान मैं अंजान; 
 गूढ़ है,      ''वो''अनसुलझे  गाँठों की गहर है !

इस तस्वीर में ''वो ''तस्वीर के बाहर भी ''वो ''
मिटा रहा जहान , उसके इशारों की सहर है !




No comments:

Post a Comment