दोस्त
यार दोस्ती में----- मैं नादान, बन गया ;
मैं मानता हूँ ------ मैं इंसान, बन गया !
हश्र में भी --- निगाहें तेरी तरफ ही थी;
ना जाने फिर क्यों तू अनजान, बन गया !
देखा किये हमें ,---- हँसते रहे हमीं पर ;
क्यों सोचते थे सब तू इंसान ? बन गया !
सोच रहा झुक कर, तू दस्त थाम लेगा;
मुँह फेर लेना तिरा अरमान, बन गया!
लेकर चला हूँ, मैं कश्ती कनारे पे ;
साहिल तुझे समझा तूफ़ान, बन गया !!! , ,,.... ''तनु ''
यार दोस्ती में----- मैं नादान, बन गया ;
मैं मानता हूँ ------ मैं इंसान, बन गया !
हश्र में भी --- निगाहें तेरी तरफ ही थी;
ना जाने फिर क्यों तू अनजान, बन गया !
देखा किये हमें ,---- हँसते रहे हमीं पर ;
क्यों सोचते थे सब तू इंसान ? बन गया !
सोच रहा झुक कर, तू दस्त थाम लेगा;
मुँह फेर लेना तिरा अरमान, बन गया!
लेकर चला हूँ, मैं कश्ती कनारे पे ;
साहिल तुझे समझा तूफ़ान, बन गया !!! , ,,.... ''तनु ''
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