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Friday, May 29, 2015

दोस्त 

यार दोस्ती में----- मैं नादान, बन गया ;
मैं मानता हूँ ------ मैं इंसान, बन गया !

हश्र में भी ---   निगाहें  तेरी तरफ ही थी;
ना जाने फिर क्यों तू अनजान, बन गया ! 

देखा किये हमें ,----  हँसते रहे हमीं पर ;
क्यों सोचते थे सब तू इंसान ? बन गया !

सोच रहा झुक कर, तू दस्त थाम लेगा;
मुँह फेर लेना तिरा अरमान,  बन गया!

लेकर  चला  हूँ,      मैं कश्ती कनारे पे ;
साहिल तुझे समझा तूफ़ान, बन गया !!! , ,,.... ''तनु ''

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