संग राम रखवाला, कहानी राम की न्यारी
रंग भरे वो फूलों , में सजा नेह की क्यारी
ना अश्रुपूरित हो, नयन जब राम से साजन
जग का भरोसा झूठा, भरोसा राम का भारी
टूटे यकीं से जिंदगी, एक बोझ लगती है
करले दुआ ये बंदगी, एक रोज़ सजती है
ये जान हर पथ में वो तेरे साथ चलता है
बिना उसके ये जिंदगी, एक सोज़ लगती है
शबरी का भरोसा प्रबल, कि राम आएँगे
अहिल्या की तपस्या रही, कि राम आएँगे
लगाऊँ उसको पार जो भव पार करते हैं
खिवैया बन राम ही रटूँ, कि राम आएँगे
भरोसा है तो उस भरोसे को, निभाना भी ज़रूरी है १४
वादा है कोई उस वादे को, निभाना भी ज़रूरी है
हैं सारे इंसान देखने में तो दिखते एक ही जैसे ?
अपना गर जो मान लिया उसको, निभाना भी ज़रूरी है
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