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Sunday, May 17, 2015

फूल 


मिटटी से मैं गढ़ दूँ फूल ; 
तुझे आ मैं खिला दूँ फूल  !! 

लो फूल पर भौंरा बिठा दूँ ;
तुम कहो तितली उड़ा दूँ !
आसपास गुलशन लगा दूँ ;
किरणें डालूँ इसे हँसा दूँ ! 
डाली झूलना झूलता फूल ! 
तुझे अंक में भर लूँ फूल !!.....  मिटटी से 

मुरझाने की बात न जाने ;
स्वार्थमय संसार न जाने !
पवन का झौंका क्या होता है ?
उसकी तो ये घात न जाने , ,, 
हृदय सबके भाता फूल ! 
पंख पंखुड़ी खिलता फूल !!… मिटटी से 

लाल रंग दूँ लाल बन जाए ; 
चाहो तो गुलाब बन जाए !
चाहे कमल बन इठलाये !
नहीं कभी ये मुरझाये !! 
सबके मन हर्षाता फूल ! 
रंग बिरंगा प्यारा फूल !!... मिटटी से 

कलियाँ टूटी कोई न रोया ! 
फूल रौंदा कोई न रोया !! 
ये माटी का है मृण्मय है! 
टूटा तो मेरा नन्हा रोया !!
''पानी देना'' माँ गयी भूल !
कैसे अब ये हँसेगा फूल ?…  मिटटी से 






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