फूल
मिटटी से मैं गढ़ दूँ फूल ;
तुझे आ मैं खिला दूँ फूल !!
लो फूल पर भौंरा बिठा दूँ ;
तुम कहो तितली उड़ा दूँ !
आसपास गुलशन लगा दूँ ;
किरणें डालूँ इसे हँसा दूँ !
डाली झूलना झूलता फूल !
तुझे अंक में भर लूँ फूल !!..... मिटटी से
मुरझाने की बात न जाने ;
स्वार्थमय संसार न जाने !
पवन का झौंका क्या होता है ?
उसकी तो ये घात न जाने , ,,
हृदय सबके भाता फूल !
पंख पंखुड़ी खिलता फूल !!… मिटटी से
लाल रंग दूँ लाल बन जाए ;
चाहो तो गुलाब बन जाए !
चाहे कमल बन इठलाये !
नहीं कभी ये मुरझाये !!
सबके मन हर्षाता फूल !
रंग बिरंगा प्यारा फूल !!... मिटटी से
कलियाँ टूटी कोई न रोया !
फूल रौंदा कोई न रोया !!
ये माटी का है मृण्मय है!
टूटा तो मेरा नन्हा रोया !!
''पानी देना'' माँ गयी भूल !
कैसे अब ये हँसेगा फूल ?… मिटटी से
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