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Monday, May 4, 2015

बुद्धम शरणम गच्छामि 

दिन चाहे ----कितने भी बीते ;
बुद्ध आज भी दिलों में जीते !
जहाँ  बहता करुणा का सागर,
वहाँ वात्सल्य घट क्यों कर रीते ? 

तम को जीता क्रोध को जीता ;
संयम मन में ----रहा अनूठा ,
सर्वस्व छोड़  त्याग में जीना , 
ऐसे किसका जीवन बीता ?

जीव का त्रास -- देख न पाये ;
मृत्यु का दंश--  देख न पाये, 
मोह छोड़ विषम पथ चुना, 
ऐसे महात्मा बुद्ध कहलाये !!

बुद्ध निर्मोही बुद्ध हैं त्यागी ;
भारत देश अतीव बड़भागी ,
मानव बन छोड़ मद मत्सर ?
पहन वल्कल बन वीतरागी !

ज्ञान का पथ है सदैव दुर्गम ;
कौन जाना है आगम निर्गम ?
शान्तं पापं-------छोड़ अहम।
ऐसे पथ को -----बना सुगम , ,,

बुद्ध ज्ञानमय --- बुद्ध त्यागमय 
बुद्ध संयमी ---  बुद्ध वैराग्यमय 
सिर्फ आज न ---- तप और संयम 
सदा ज्ञानमय ---   सदा तेजोमय 




















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