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Thursday, May 21, 2015

''याद'' कुछ अशआर 


यादों की रुत में,  पता न आन - बान का मिले ;
कहाँ वो ? शब - ओ - सहर पता न जहान का मिले !

याद !!! जो दिल को, दिल से निकाल ले जायेगी ;
जिंदगी तब न मरहला, कोई आराम का मिले !

कुछ यादें गले मिलेंगी यूँ, और लिपटा ले जाएँगी !
भूल जाओगे सफर का निशाँ  वो मुकाम का मिले !!

यादों की गोद ईमान ओ सकूँ से है भरी हुई ; 
खोया रहूँगा शब भर पता न थकान का मिले ! 

चाँद का डोला है !!! और सितारों के हैं पैरहन ;
जुगनू को भूल गया हूँ, दिल उड़ान का मिले !!

अशआर में खोजो वज्न में यादों के ख्वाब हैं ;
''तनु '' उड़ चला है तीर पता न कमान का मिले !!!....'' तनु ''



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