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Sunday, May 24, 2015

 समय कटा,
 अपने आप !
''विषय'' है,
 लहराता साँप !  
 घिस कर घुन,
 ''पूर्णमिदं''!!
 आदि ही इति, 
 इदं इदं !!
 हृदय  को, 
 मुसकान पाटती !
 सूरत को ,
 आँखें निहारती !
 हथेली,
 सूरज की उम्मीद! 
 चल राही,
 धरा पुकारती !!
 वलय  खींच
 मलय न बाँध 
 संयम की 
 सीमा न लांघ 
 मन ही है, 
 वह परकार !
 मन से बंध ,
 मन न रांध !! 

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