प्रेमचंद तुम चंद में, आ जाओ तो बात !
कलम चला के ''विजय'' की ''सिर्फ एक आवाज़'' !!
''सिर्फ एक आवाज़'' ''कफ़न'' के ताने उधड़े ,
गयी ''पूस की रात'' ''आखिरी मंजिल पकडे'' !!
न ''आल्हा''''आधार'' न ''क्रिकेट मैच मचंद'' !
न ''गैरत की कटार'' ''बड़े बाबू '' प्रेमचंद !! ,.... ''तनु ''
कलम चला के ''विजय'' की ''सिर्फ एक आवाज़'' !!
''सिर्फ एक आवाज़'' ''कफ़न'' के ताने उधड़े ,
गयी ''पूस की रात'' ''आखिरी मंजिल पकडे'' !!
न ''आल्हा''''आधार'' न ''क्रिकेट मैच मचंद'' !
न ''गैरत की कटार'' ''बड़े बाबू '' प्रेमचंद !! ,.... ''तनु ''