आयो कने वणी ने प्यार दीजो सा !!
जग री खुशियां उपहार दीजो सा !!
यूँ बाँधी ने हाथ उबा मति रिजो !
हाथां ने खोल जो दुलार दीजो सा !!
घणी जबर लागि या कपट री गाँठ !
आँटी राखो मन मति खार दीजो सा !!
नया रा साथ चालो जूना री वात मानो
पुण्य पुरखाँ रा करज उतार दीजो सा
अकड़ी ने आँख्यां थें मति दिखाजो !
निजरां भरी प्यार थें वार दीजो सा !!
खातर कणि जरा झुकी जावो तो कई !
जो जीत्या चालो वणाने हार दीजो सा !!
मोल कौड़ी जीवन कीमत नि अणि की !
बुरी वातां भूलजो सदव्यवहार दीजो सा !!
काले आया ने काले चालता वणोगा !
ताबूत वो के सीढ़ी ''तनु''सिणगार दीजो सा !!,,,..''तनु''
No comments:
Post a Comment