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Monday, July 31, 2017

 प्रेमचंद तुम चंद में,              आ जाओ तो बात !
कलम चला के ''विजय'' की  ''सिर्फ एक आवाज़'' !!
''सिर्फ एक आवाज़''    ''कफ़न'' के ताने उधड़े ,
गयी ''पूस की रात''     ''आखिरी मंजिल पकडे'' !!
न ''आल्हा''''आधार''  न ''क्रिकेट मैच मचंद'' !
न ''गैरत की कटार''    ''बड़े बाबू '' प्रेमचंद !! ,.... ''तनु ''          

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