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Wednesday, July 19, 2017
रात
चाँद की
बावरी, पर्वत ऊपर मौन , ,,
मुखड़ा देखे झील में,
सपने
बुनता
पौन !!
शाम सुहानी मदिर है , नभ भी है कुछ ख़ास !
धीमी बहती पवन है , मन को भाता रास !!... ''तनु ''
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