मुँह बिसूरति ग़ज़ल चली,गीतों का है विलाप !
ठुमरी टप्पा दादरा, खोया है आलाप !!
पत्र,पुष्प,फल गुम हुए, खोये उच्च विचार !
द्वेष दम्भ पाखंड में, उलझा सब संसार !!
भाव विधा कुछ भी नहीं शब्दों का जंजाल !
दग्ध शब्द में छंद भी, लगते हैं कंकाल !!
पत्र,पुष्प,फल गुम हुए, खोये उच्च विचार !
द्वेष दम्भ पाखंड में, उलझा सब संसार !!
भाव विधा कुछ भी नहीं शब्दों का जंजाल !
दग्ध शब्द में छंद भी, लगते हैं कंकाल !!
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