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Sunday, July 23, 2017




अच्छे करम  पानी हुए  हालात ये तूफानी' हुए  !!
जान सकती लहरें हदें बिना कहे के रवानी हुए  !!

 शह्र में नहीं नज़र में भी कोई दर्द देने वाला नहीं !
अड़चनें सिमटती दामनो ख़ामुश ये जिंदगानी हुए !!

तूफ़ाँ है जोर और गुरुर के चराग़ भी हैं जलते हुए !
डूबा सफ़ीना मझधार में फिर भरम ये फ़ानी हुए !!

तबीअत उदास बहल गयी रुत भी कहीं बदलने लगी !
फिर खामखाँ किस्मत रूठी फिर ख्वाब आसमानी हुए !!

आँसू रवाँ फिर खुश लिबास थी जिंदगी जाना किये !
ज़मी आसमान मिले नहीं यूँ दुश्मन क्यों जानी हुए !!

थी ग़ज़ल ज़हीन घरो की रौशनी भी थी उस जा क़ायम !
कद्द-ए-आदम आइनों देखो  लिक्खे करम पेशानी हुए !!

शुआ-ए-महर के साथ उठे नज़र झुक गयी तो शाम थी !
होते अगरचे कुछ ख़ुदा होते नाहक हुए लाफ़ानी हुए !!... ''तनु ''

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