अच्छे करम पानी हुए हालात ये तूफानी' हुए !!
जान सकती लहरें हदें बिना कहे के रवानी हुए !!
शह्र में नहीं नज़र में भी कोई दर्द देने वाला नहीं !
अड़चनें सिमटती दामनो ख़ामुश ये जिंदगानी हुए !!
तूफ़ाँ है जोर और गुरुर के चराग़ भी हैं जलते हुए !
डूबा सफ़ीना मझधार में फिर भरम ये फ़ानी हुए !!
तबीअत उदास बहल गयी रुत भी कहीं बदलने लगी !
फिर खामखाँ किस्मत रूठी फिर ख्वाब आसमानी हुए !!
आँसू रवाँ फिर खुश लिबास थी जिंदगी जाना किये !
ज़मी आसमान मिले नहीं यूँ दुश्मन क्यों जानी हुए !!
थी ग़ज़ल ज़हीन घरो की रौशनी भी थी उस जा क़ायम !
कद्द-ए-आदम आइनों देखो लिक्खे करम पेशानी हुए !!
शुआ-ए-महर के साथ उठे नज़र झुक गयी तो शाम थी !
होते अगरचे कुछ ख़ुदा होते नाहक हुए लाफ़ानी हुए !!... ''तनु ''
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