की हर इक शजर सितम की नोक है , ,,,
सूरज ढकने पर किसने की रोक है !
आसमा धूम है धुँआ सा छा रहा ,,,,
उसे नहीं किसी को छुपाने की टोक है !
दिल जले हम साथ सबके क्यों चले , ,,,
झुक गयी नज़रें लगते डरपोक है !
देखकर रुख हवा का संभलते नहीं, ,,
ओढ़ अँधेरे को लगाते धोक है !
आदतें अच्छी धीरे धीरे पनपती , ,,,
पत्थरो में देर से लगते ओक है !!
तनु समझना तुम्हारे बस में नहीं !
दृष्टि से बाहर भी अनजाने लोक हैं ..''तनु ''
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