मुझसे कहते थे गुब्बारे-
उड़कर पकड़ो सारे तारे
हम भी तो थे शक के कारे,
खींच के पत्थर दो ठौ मारे??,भाई अशोक जी शर्मा की पंक्तियों से प्रेरित
मारे??,
हम भी तो थे शक के कारे,
शक के कारे शक के मारे
फिर क्या हुआ ?बेचारे हारे
हुए अपने तो वारे न्यारे
पर आँसू भर नैन बिचारे
कितने प्यारे थे गुब्बारे
फूटे सारे के सारे
हाँ रे
खींच के पत्थर दो क्यों मारे??
फिर तो फूटे वो गुब्बारे
कैसे पकडे तुमने तारे
जब फूट गए सारे गुब्बारे
झूठ ही कहते थे गुब्बारे
हाँ रे
बोलो क्या तारे थे झूठे
या फिर वो गुब्बारे फूटे
कैसे पकडे तारों को
या फूटे गुब्बारों को
मन के अंगना टूटे तारे
फूट गए झूठे गुब्बारे
हाँ रे
अहम में ऊँचा मत उठना रे
फूट ही तो जाते ये गुब्ब्रारे
कोई फोड़े या खुद फूटे
गुब्बारे तो होते हैं झूठे
कभी न पकड़ते है ये तारे
मुझसे कहते थे गुब्बारे-
हाँ रे ''तनु ''
उड़कर पकड़ो सारे तारे
हम भी तो थे शक के कारे,
खींच के पत्थर दो ठौ मारे??,भाई अशोक जी शर्मा की पंक्तियों से प्रेरित
मारे??,
हम भी तो थे शक के कारे,
शक के कारे शक के मारे
फिर क्या हुआ ?बेचारे हारे
हुए अपने तो वारे न्यारे
पर आँसू भर नैन बिचारे
कितने प्यारे थे गुब्बारे
फूटे सारे के सारे
हाँ रे
खींच के पत्थर दो क्यों मारे??
फिर तो फूटे वो गुब्बारे
कैसे पकडे तुमने तारे
जब फूट गए सारे गुब्बारे
झूठ ही कहते थे गुब्बारे
हाँ रे
बोलो क्या तारे थे झूठे
या फिर वो गुब्बारे फूटे
कैसे पकडे तारों को
या फूटे गुब्बारों को
मन के अंगना टूटे तारे
फूट गए झूठे गुब्बारे
हाँ रे
अहम में ऊँचा मत उठना रे
फूट ही तो जाते ये गुब्ब्रारे
कोई फोड़े या खुद फूटे
गुब्बारे तो होते हैं झूठे
कभी न पकड़ते है ये तारे
मुझसे कहते थे गुब्बारे-
हाँ रे ''तनु ''
No comments:
Post a Comment