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Sunday, July 16, 2017



मालवी गज़ल 

कस्तर !

आँख्यां बहे आँसू छिपावाँ कस्तर !
समंदर में लेहरां उठावाँ कस्तर !!

जिनगी रा मोड़ घणा रोके कदम !
मंजिल ने कने     बुलावाँ  कस्तर !!

वख़त री साँसां तेज़ घणी चाले !
बोलो रातां ने दन बणावाँ कस्तर !!

जो फुलड़ा री खुशबू चावै थाने !
रई बागाँ  बहार बुलावाँ कस्तर !!

कणिके नी आया ''तनु''ई चाँद-तारा !
अणि माटी दीवा बणावाँ कस्तर !!,..... ''तनु ''








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