मालवी गज़ल
कस्तर !
आँख्यां बहे आँसू छिपावाँ कस्तर !
समंदर में लेहरां उठावाँ कस्तर !!
जिनगी रा मोड़ घणा रोके कदम !
मंजिल ने कने बुलावाँ कस्तर !!
वख़त री साँसां तेज़ घणी चाले !
बोलो रातां ने दन बणावाँ कस्तर !!
जो फुलड़ा री खुशबू चावै थाने !
रई बागाँ बहार बुलावाँ कस्तर !!
कणिके नी आया ''तनु''ई चाँद-तारा !
अणि माटी दीवा बणावाँ कस्तर !!,..... ''तनु ''
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