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Tuesday, July 4, 2017


गजल - समय चक्र चलता रहा

समय चक्र चलता रहा,
सूरज नित ढलता रहा !

दामन सिंदूरी साँझ का, 
पर्वतों फिसलता रहा !

गा रहा गीत झरना ,
संग पवन झरता रहा !

धीमे धीमे दरमिया ,
प्यार फिर बढ़ता रहा ! 

सुनहरी सी किरण तुम ,
घर जगमगाता रहा ! 

कामनाएँ सोणी सी,
ये जहां सजता रहा !

प्रीत ओढ़े बदरिया ,
चाँद भी छुपता रहा !

बंद आँखें झुका 
सर 
मेरा ये सजदा रहा !... ''तनु''




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