गजल - समय चक्र चलता रहा
सूरज नित ढलता रहा !
दामन सिंदूरी साँझ का,
पर्वतों फिसलता रहा !
गा रहा गीत झरना ,
संग पवन झरता रहा !
धीमे धीमे दरमिया ,
प्यार फिर बढ़ता रहा !
सुनहरी सी किरण तुम ,
घर जगमगाता रहा !
कामनाएँ सोणी सी,
ये जहां सजता रहा !
प्रीत ओढ़े बदरिया ,
चाँद भी छुपता रहा !
बंद आँखें झुका सर
मेरा ये सजदा रहा !... ''तनु''
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