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Thursday, July 31, 2014

उधेड़ रहे,,,,
बखिया मामले की ,,,
सजा ठहरी। 
अघोरी बन,,,,
  इधर न उधर,,,,,..
    ठेले छूटा न। 
संवरी काया
माँ का आँचल पाया
संसार पाया ……… तनु 

Tuesday, July 29, 2014

आँसू  से नम,
भीगी पाती प्रेम की.… 
देना न ग़म। …तनु 
आह !!!    के हवाएं बदनाम हो गयीं 
बचो बचाओ ये सदाऐं आम हो गयी 


मकां  में डर है---- रहगुज़र में डर है 
सुनहरी शाम,  बला ए शाम हो गयी ''तनु ''

   
ये उंचाईयाँ!!!.
..आज जी भर उड़ो
..कल हो न हो। … "तनु "

Monday, July 28, 2014

 नहीं कहता
 हिन्दू है या मुस्लिम
 दूज चन्द्र का ''तनु ''
जब दिल टूट ही गया था तुम्हारा तो दूसरों का दिल क्यों तोड़ा ?
खुद दो राहे पर  खड़े थे  दूसरों को  इस  मुक़ाबिल  क्यों छोड़ा ?
किसी की बेरहमी का सिला मुझसे न ले ए दोस्त मेरे............... 
हमनशीं मैं,     तेरे हमकदम हूँ,     तूने मुझसे मुँह क्यों मोड़ा ???''तनु ''
मेरी  याद अकेले तेरे दिल में  होगी,
 मेरी याद सरे महफ़िल में होगी ,
तू मेरे दिल का यकीन मत करना!!! 
रोयेगा समंदर तड़फ साहिल में होगी "तनु "

Sunday, July 27, 2014

कभी तो आ तू मेरी नींद से पहले !
करके इंतज़ार मेंरा कभी तू भी दहले !!
रोज़ क्यों कयामत की बात करता है !
क़यामत रोज़ है तेरे आने से पहले !!..''तनु''
बिजली गिरी ,
शाख झुलस गई  !!!
जुटते लोग ,



जीवन छूटा,
भव बंधन टूटे!!!
शरीर छूटा ,



 न आना कभी ,
यादों के झरोखों से !!!
टूटता मन .... "तनु "
"ईद"  पर हो सबको    दिली मुबारकबाद !!!
मुरादें हों सबकी पूरी   दिली मुबारकबाद !!!
खुशियां लेकर आई  ''ईद'' दिली मुबारकबाद !!!
मेरे तेरे सबके दिल की दिली मुबारकबाद !!!''तनु''
क्यों !!!
आज होश आया,
ज़मीन पर पाँव रखना है!!!
मन का बोझ कैसे हो हल्का ?
या और.…
भारी हो जाएगा ?
टंगे टंगे  ( tag ) ?
टांगे  टांगे  (tag ) ??
हाथ दुःख आये.
और.
कंधे भी
ज़रा हल्का हो लूँ.,,,
हाथों को काटूं ?
 या
टांगों को.…………
दोनों ही स्थिति में,
दोस्त दुखी होंगे,,,,,
किसे है परवाह?
हाय!!!
ये
कमेंट्स और लाइक की मारी,,,
फेसबुकिया दुनिया। …"तनु "

Saturday, July 26, 2014

भोर का तारा,
गुप्तचर रवि का!!!
चाँद बेचारा। .''तनु "  
चाँद  अनूप !
पूनम अमावस!!
बदले रूप !!!''तनु ''

शब्दों का दर्द
मनवा  अकुलाया
सृजन नहीं ''तनु ''
ये क्या धुन सवार है सफर है    मंज़िल मंज़िल!
 तूफ़ान है आबशार है डगर है   मंज़िल मंज़िल !!
कहीं भी जाओ इस कायनात के पार भी चले जाओ !
दोजख है जन्नत है सहर है      मंजिल मंज़िल!!.......... ''तनु ''

हौसले आसमान से नहीं रहे मंज़िल भी है दूर !
पलकों से ख्वाब गिरकर क्यों हो गए है चूर !!
रात अँधेरी है फलक पे सितारे भी नहीं दिखते !
हमने चाहा था महताब रौशन हो पुरनूर !… ''तनु ''

चाह मंज़िल  की  है साथी तू ही हो। 
चाहे राह में कांटें हो रहनुमा तू ही हो !
जीने का फलसफा बदल दिया मैंने !!
हर कदम पर हम कदम तू ही हो !…'' तनु ''
मंज़िल का पता देता है चमकता सितारा ,
प्यारा सागर    वहीँ है छलकता किनारा !
हाथ में हो हाथ तेरे और कुछ भी न चाहें हम ,
आ बदल दें हम अपनी किस्मत का नज़ारा !!"तनु "

हर जां बेजां की आते ही जहां में  तय हो जाती है मंज़िल !
जैसे सागर की उठती गिरती लहरों का किनारा है मंज़िल !!
धरती हो  सूरज हो या  चाँद - तारे सभी की हैं मंज़िलें जुदा !
चलो कि जागे हुए हैं चिराग नहीं लक्ष्य बिना कोई है मंज़िल  !!"तनु "

Friday, July 25, 2014

मैं निरुत्तर!!! 
शब्दों का समर्पण। 
 व्यक्त आभार । .''तनु ''
 दिल में है वाह इसलिए कि आप उगल पड़े !!!
 दिल में है आह इसलिए कि वो निकल पड़े !!!
जूनून सवार है एक दूसरे को नीचा दिखाने का!!!
दिल की रही कहाँ बात की बात में वो उबल पड़े!!! ''तनु ''

Thursday, July 24, 2014


       

संस्कारों की जल गयी होली,
तमन्नायें हुईं धूमिल!
मिटी आस अब सब कुछ खोया,
सूझे कहीं नहीं मंज़िल!!

आदर खोया निरादर पाया,
टूटी मन की आस!
ऐसे रिश्ते बना बैठे है,
जो नहीं कुछ ख़ास!
सजदा कहाँ कहाँ पर करता ,
फिर भी है बुजदिल!!
संस्कारों की जल गयी होली
तमन्नायें हुईं धूमिल …

ढूँढे अपने नए आसरे,
आज यार दोस्त हैं खास!
माता पिता की अच्छी बातें,
लगती है बकवास!
दादी नानी की प्यारी कहानी!
सुने न कोई संगदिल!!
संस्कारों की जल गयी होली
तमन्नायें हुईं धूमिल …।

दृष्टि कहो क्यों गिद्ध हो गयी,
मानवता निषिद्ध हो गयी!
दुर्देव मनुष्य का ग्रास बनी,
कलियाँ काल कलवित हो गयीं !
काल व्याल की बात कहाँ है ?
मानव से ही बचना मुश्किल!!!
संस्कारों की जल गयी होली
तमन्नायें हुईं धूमिल .... तनुजा ''तनु ''













स्पर्श पारस 
सोना हो गया था मैं 
निखरी काया "तनु "
पीड़ा के भाव यूँ तो अपार हैं
 बातें भुला देने में ही सार है
क्या होगा द्वेष रखकर जीने में
द्वेष के साथ जीवन असार है। "तनु"

काया पिंजरा
चोला बदल चला 
रूप उजरा

  ढूँढे बसेरा 
फिरै है मारा मारा
काया पिंजरा ''तनु''

Wednesday, July 23, 2014

आधी.......


आधी!!!
आबादी आधी.. 
क्या आधी ही रह जायेगी ? 
हौव्वा पर तो बीत रही,
आदम ज़ात क्या बच पायेगी ?
दुख !!!
उत्पीड़न , शोषण मुद्दे ...
मुद्दे और मुद्दों की जांच 
क्या पूरी हो पायेगी ?
हौव्वा पर तो बीत रही
आदम ज़ात क्या बच पायेगी ?
दूसरी !!!
आधी , बिन उसके..
क्या पूरी कहलायेगी ?
किसको पूजे ?
किसको पोसे ?
कौन सजनी बन पायेगी ?
हौव्वा पर तो बीत रही
आदम ज़ात क्या बच पायेगी ?
किसके !!!

बोये बीज हैं ये ?
जिसके बोये बीज हैं ये ?
कुसंस्कारी ,
दिशाहीन बन, 
आने वाली पीढ़ी को 
कैसे राह दिखाएगी?
दूसरी आधी क्या बिन आधी .
कब पूरी कहलायेगी ?
हौव्वा पर तो बीत रही ,
आदम ज़ात क्या बच पायेगी ?
डरो !!!

डरो कि ईमान रखो ,
डरो कि सच से न डिगो.
डरो कि ऊपर वाला भी है ?
आओ संभलो अब भी तुम
इंसा हो इसां रहो भी तुम
हौव्वा पर तो बीत रही ,
आदम ज़ात क्या बच पायेगी ?

- तनुजा ''तनु''

Tuesday, July 22, 2014

हद पार है ,
अनहद नाद से !!!
है  परमात्मा । .... "तनु "
सांस क्यों है रुकी रुकी सी पत्ते भी हैं बेदम से,
आकाश बना श्रीहीन सा सूरज के छुप जाने से ,
अचला भी कर रही अनुनय मनुहार बादलों से ,
बरसो मन की बातें खोलो  बरसो चाहे बेमन से। ......''तनु ''...

 न गुलों की न खारों की ही परवाह करती,
 जिंदगी का क्या वो तो यूँ भी गुजर जाती !

तुम होते तो क्या था न होते तो क्या था,
बरसने से पहले बदली यूँ भी घुमड़ जाती !

बहाया था पसीना  कभी  पानी की तरह,                     
शबनम का क्या पत्तों से यूँ भी उतर जाती!

मैं ये कहूँ वो ले के गयी मेरा सब्र ओ करार,
फायदा क्या पूछने से वो तो यूँ भी मुकर जाती !

दे अगर कोई दिलासा आंसू और बहे जाते हैं ,
दरिया ए सैलाब का क्या वो तो यूँ भी उमड़ आती ! 

ये क्या ?… सारे ग़म कौन  लेता है किसके ?
जिंदगी का क्या   वो तो यूँ भी सुधर जाती !"तनु "



जुगनु रात ,
हमारा काव्यालय !!!
हुआ प्रभात। …''तनु ''
मानव बनें अटकाएं न रोड़े ,
अपने ही न  अपनों को तोड़ें !
कोई न बहाये खून  के आंसू !!
सब मित्र बनें ऐसी राहें जोड़ें !… 'तनु' 

कहती धूप ,
चल साथ सूरज !!!
न हो अरूप....... "तनु "

Monday, July 21, 2014



कहती धूप लिए रूप अनूप 
दिव्य सलोना सलोना रूप 
चल सूरज के साथ चल 
कभी कुछ न हो अरूप ''तनु ''
प्यार की मारी है प्यास से सरसी है ,
हमारी है सबसे निराली मुहब्बत !

न गुलों की न खारों की परवाह करती,
लिए मीठी खुशबू काँटे चुभाती मुहब्बत !

मैं एहसान तले  इसके दब सा गया हूँ ,
ये खुदा है  खुदा से मिलाती मुहब्बत !

के अब चरागों को रौशन तो करलें ,
शाम ये सुरमई है और ढलती मुहब्बत !

महताब का आगोश शब सोयी पड़ी है ,  
वल्लाह !!! हो आबाद ये रूहानी मुहब्बत !! ''तनु ''
ढूँढे  बसेरा 
फिरै है मारा मारा
काया पिंजरा ''तनु''  

Sunday, July 20, 2014

नेह की गेह 
टूटी जकड़न सी
बरसा नेह '' तनु ''

Saturday, July 19, 2014

   मन उदास
 तेरी राह निहारूं
  बोझिल सांस  ''तनु ''


बदल के अपने रूप     अरूप में है स्वांग ,
क्या बदलोगे जगत ? सारे कूप में है भांग, 
बुद्धि मांगो विधाता से अनर्थ खूब किया है !!!
समय रहते चेतो भाई समय की है मांग !....तनुजा "तनु" 

हायकू  …

सहानुभूति
शब्दों से भाव घने
है अनुभूति। तनुजा "तनु "


सांत्वना अनुभूति है.....  प्यारी .... शब्दों से भाव घने होते हैं,
मरहम व्यवहार का होता , जहां, …   गहरे घाव बने होते हैं,
दूर हों या पास हो, अनुभूति होती अनुत्तरित नहीं  !!!
मीठे रिश्तों की उम्र लम्बी लिए,.... …  वे राव ठने होते हैं ! तनुजा ''तनु ''
रुखसत के वक्त दिलासा दो ये दिल्लगी न करो,
बाद पल के जीवन नहीं  सहारा दो अश्रु न भरो,
सच!!! जीवन के साज की होती हैं साँसे कम ही!!!
साज की तड़प देखो तार को झंकार दो आहें न भरो!…तनुजा ''तनु ''


साज - ए - जां है टूटने के लिए तसल्ली से सांस लीजिये,
आया कौन ?? ले जाने के लिए खुदारा खुद से जांच लीजिये !
वो सफा जिसपे जिक्र होता है मौत और जिंदगी का !!!
कोई और क्यों बांचे तारुफ़ कीजिये खुद ही बांच लीजिये। .... तनुजा "तनु "


दामन न झटको यूँ न जाओ फिर साँझ फिर सबेरा नहीं,
मंज़र  देख लो यूँ न जाओ   फिर मांझी फिर किनारा नहीं
तुम करीब हो तसल्ली है  इस दिल को और चाहिए क्या ??
पंछी अकेला है  यूँ न जाओ....फिर उड़ान फिर बसेरा नहीं !…  तनुजा "तनु "

Thursday, July 17, 2014

उड़ीं खुशियाँ , 
कब गुज़र गयीं,
पतझड़ सी। …  ''तनु '' 

Wednesday, July 16, 2014

हायकु …………

बात ही बात,
नहीं हैं अनजान
 आज की रात

आस है टूटी
अनगिन सवाल!!
किस्मत रूठी

गया न खाली
दुआओं का असर!!
रूठे न माली

कर्ज का भार,
मजबूरी का दर्द,
 बुरे आसार !

तू रख लाज,
इतनी सी अरज,
संवार काज.....


ठूंठ को पात,
सावनी  बरसात!
भीगे हैं गात.……………।








Tuesday, July 15, 2014

ये कौन कहाँ तक आया मन हर्षित जलधि सा सरसाया ,
उदधि की उद्दाम पीड़ा        तोड़ शांत लहर सा लहराया !
रहो अब बेचैनी टूटे अंतस मन की बातें फूटे !!!
कितने दिन, कितने बरस, यूँ मन मरीचिका सा झुठलाया !"तनु "


वो पूछते हैं ,
हमारी ही हमसे
क्यों बूझते हैं 
"तनु "

Monday, July 14, 2014



मन मैला है मेघ का .... उपजा मन की प्यास,
बरसे बिन क्यों हैं छाए, .  लगा नीर की आस ! 
लगा नीर की आस.  हरियाली का उत्सव भूले,
अब कैसे सुपर्णा बने. डाली लहराए झूला झूले !!
निमंत्रण भेज धरा      गगन से मांगे हरियाली !
मन मैला है मेघ का…     कैसी ये आशा पाली ?? ''तनु ''

Sunday, July 13, 2014

बादल रुई के टुकड़े से फर फर उड़ते हो मटके - मटके ! 
चुराई धरा से वाष्प की बूंदें भारी हो  अटके - भटके !!
तन के काले हो,  मतवाले हो, जग के पालनहारे हो !!!
बरसा भी दो जो लाये हो क्यों दिखाते हो लटके - झटके !....... तनुजा ''तनु ''

एक ही तो अस्त्र है नारी के रुठन को 
कौं  रीत उपजाई प्रेम भाव टूटन को
रुठने मनाने के परिहास सौ काहे डरयौ रह्यौ।
कैतैऊ उपाय काहे खोये बाय समझावन को ,''तनु ''
चातक आषाढ़ में हुआ गा के बेहाल ,
आजा अब बरस हुआ जा के बेनाम ,
अकुलाई धरा  पानी को ले आ तू.....  सुन !!!
पावक था पावस हुआ पा के पैगाम !… ''तनु ''       

Saturday, July 12, 2014

जब से  पैगाम हाथ लगा इंतज़ार अब नहीं होता ,
लुत्फ़ गया, एहसान गया, इकरार अब नहीं होता 
सब्र गया आराम गया जवानी भी गयी !!!
वक्त ही सितम ढा गया, एतबार अब नहीं होता !तनुजा ''तनु ''

Friday, July 11, 2014

गुरु की भक्ति है भली कर जाए निहाल ,
कृपा मिले जो उनकी हो जाए मालामाल ,
हो जाए मालामाल, शिखर पे गुरु पहुँचावै !
बिन हल्दी फिटकरी रंग ज्यूँ चोखा आवै !!
गुरु महिमा अनंत है सबको लेती पाल,
गुरु भक्ति में डूबकर सुंदर करले चाल !!

सदगुरु के सत भाव को जान न पाया कोई ,
शिष्य वही धन्य है     जो सम सदगुरु होई ,
जो सम सदगुरु होई,    औ रंगे  गुरु के रंग !
ज्यों उडगन ओ मयंक नित दिनकर के संग !!
शिष्य न भूले गुरु को गुरु सूर्य ज्ञान का होई
सद्गुरु महिमा अपार है जान न पाया कोई!!  तनूजा " तनु " 
राज आया मोदी का खिला बजट का फूल पहला,
अर्थ को नया आधार मिला लगा नहले पे दहला ! 
लगा ''नहले पे दहला'' बिगड़ी बात संवर जायेगी!!
होगा आर्थिक विकास नित जनता बधाई गाएगी,
नया सेवरा लाया है,  ''अरुण'' जड़ कर ताज में!
खुशनुमा बजट पेश हुआ है अपने मोदी राज में!!"तनु"

Thursday, July 10, 2014

ज़ोहरा सहगल जी को नमन  !!!
झुर्रियों पर जवानी लिखी !
आँखों के शरारों पर कहानी लिखी !!
करूँ सलाम तुम्हारी जिंदादिली को !!!
न कहीं ऐसी रवानी दिखी !!!
नमन !नमन ! नमन !''तनु ''
ह्रदय सुमन खिल उठा श्वेत श्याम बदरिया में ,
आज सुन कोई मिला मीत है शाम बजरिया में,
सुमन से खिल जाएँ हम महक कर गीत गायें हम !!!
मोरपंख लगाये  बांसुरी बजाये श्याम नगरिया में ……"तनु "
हाथ उठा आज के   रब से ये मांग लूँ ,
राहे रस्त मैं रहूं ऐसी मुहब्बते नज़र चाहिए !

छुपाये चेहरा आते हैं, कुछ मुस्कुराए आते हैं,
झुकें नज़रें न मेरी ऐसी सीरते दौलत चाहिए !

डरते क्यों हो ? जब नेक नीयत रहो ,
नेक काम होते है..... नहीं ऐसा के मुद्दतें चाहिए !

उनकी चाहतें बहुत,…  चाहने वाले बहुत,
मुस्कुरा के पनाह में ले मुझे ऐसी खिदमत चाहिए !

मैं काफ़िर नहीं, मेरी सीरत में है दम ,
इश्क देदे मुझे ऐसी बेइंतहा मुहब्बत चाहिए !

जी शोरोगुल से अब घबरा गया है "तनु",
इश्क का घर या चमन ऐसा दारुल अमां चाहिए ! ''तनु ''

बिना छनकाये --चूड़ी खांच न चूड़ो
आई  रे गोरी हंसती खेलती-- जूड़ो
डाइटिंग की मारी धूप न सहे बेचारी
चमकीले बाल गोरे गाल रुपारो पूड़ो .... तनु


किस्मत के आगे झुक के लाये थे इश्क की नियामत,
कभी इश्क को सजदा किया कभी खुदा को याद किया!!

गर किस्मत पे न  एतबार हो न  कभी कीजे इश्क,
कभी चारागर की राह थी कभी हकीम को याद किया!!

 मानिन्द -ए - सुबह किस्मत के उकदे न कभी खुले ,
कभी अख्तर उम्मीद थी कभी नजूमी को याद किया !!

ये जिंदगी की सलाह है किसी बेबर्ग -ओ- साज से ,
कभी दरख्तों के साये चले कभी बारिशों को याद किया !!.... तनुजा ''तनु ''

Tuesday, July 8, 2014

  एक ख़्याल
पर बड़े प्यार से
  खड़ा सवाल ..''तनु''


Monday, July 7, 2014



 नीर की बदली--- छलक भी जा ,
धरणी का सीना--- छीजा छीजा। 
अपलक राह------- निहारे नैन ,
पांवड़े पलक------- बिछा बिछा ,  --''तनु ''

कितने शरारों शोलों से जला हुआ हूँ ,
न तू गिन, फफोले हैं मेरे जिगर में.

सब गैर हैं और तूफान देखता हूँ ,
राहें मुख्तलिफ, एक मंज़िल है सफर में.

ये किसकी!!! इनायतों ओ रहम का दौर है,
रोती है जीस्त शाखों की भीगी सहर में.

इक फलक ही था जो इस बात का मातम करता ,
इक नदी ही थी बहाती खूनाब चश्मतर में। .... "तनु "

इक फलक ही था जो इस बात का  मातम करता
इक नदी ही थी  के बहाती खूनाब चश्मतर में…''तनु "

Sunday, July 6, 2014

बुतक़दे मैं  हैं चिराग क्यूं  रौशन ,
  गर तुम कहीं हो तो सामने आओ। 

साज जो टूट गया वो अब बजे  कैसे ,
  जाहिद हूँ मैं  मेरी बंदगी को न झुठलाओ। 

जिद न देखो तूफा की कहर में है जां ,
   नाखुदा न हो तुम लंगर न उठाओ। 

अभी चार दिन ही का तो दोस्ताना है ,
  कोई मतलब की  बात उनको न बताओ।

दिल पे अन्धेरा है और  रूखे रौशन है ,
   खुदा न हो यहाँ कोई अहरमन तो मनाओ । 

जमीन ओ अर्श पे था जिनका दबदबा कायम , 
   सभी फानी यहां कोई कामिल रहरव को बुलाओ। ………"तनु"… 

तू गैर है ये  मैं मानता हूँ ,
दुश्मन है तू मैं जानता हूँ ,
दोस्ती भी दुश्मनी की बगल में है!!!
बा अदब उसको निहारता हूँ  ,,,,,,,,,,,,"तनु "

ये कैसा सृजन ??
मन की अकुलन ,
शब्दों का दर्द लेखनी में 
हो गया आंकलन………"तनु"………

Friday, July 4, 2014


स्वास्थ्य प्रभावित करता,  एक कण गलत आहार का !
संस्कार प्रभावित करता,   एक क्षण गलत विचार का ! 
स्वास्थ्य ओ संस्कार बचाओ योग को अपनाओ !!
प्रतिबंध करो खंडन करो, एक पल गलत आचार का !!! "तनु "

राधा नित चिंतन करे, श्याम का घनश्याम का !
शाम से पथ  निहारै,  श्याम का घनश्याम का !
श्याम घन छाए शाम भई श्याम न आये !!
शाम श्याम  चिंतन, श्याम का घनश्याम का........''तनु ''
बदरा प्रेम की परिधि आधी रही ,
बिना बरसात देह में व्याधि रही ,
देखो और अधिक करुणा न उपजाओ !!!!
पानी पानी की देह में आधि रही  ………… ''तनु ''

मैं गर झूठा हूँ तो बुहारूं अपने झूठ को !!,
कल आयेंगे पात हरे सूखे हुए ठूंठ को !!


जादू की छड़ी गर मिल जाए कोई !!
पलक न झपकाऊँ पकडूं उसके मूँठ को!!

Thursday, July 3, 2014

इन दिनों टीवी में प्याज ही प्याज भरी है,

इसलिए ही  मैंने टीवी पे अगरबत्ती करी है।

गोदाम के गोदाम हो गए हैं अंतर्ध्यान !!!


जाने ये महंगाई की मारी हुई कहां मरी है … ''तनु "
विचार श्रृंखला टूटी तो मृतप्राय हो जाएंगे ,
मन  भ्रमित हुआ तो निष्प्राय हो जाएंगे,
मंथन सिंहावलोकन लक्ष्य रहे !!!
इन्हें  खो बैठेंगे    तो अभिप्राय खो जाएंगे  ......''तनु''


कभी कूँची किसी चित्र में कह गयी ,                    
कभी कलम किसी पत्र में कह गयी ,                           
विचार कला की अभिव्यक्ति के !!!  
कभी कला किसी मित्र में कह गयी.… ''तनु ''
इन दिनों टीवी में प्याज ही प्याज भरी है,
जाने ये महंगाई की मारी हुई कहां मरी है ,
गोदाम के गोदाम हो गए हैं अंतर्ध्यान !!!
अभी ही तो मैंने टीवी पे अगरबत्ती करी है। … ''तनु "

सोच बिजली की " कौंध"है ,
फली खुजली की ''कौंच" है 
आ जाये असर पे जो.… 
पड़ी मुंह की "औन्ध"है  !!!"तनु "

Wednesday, July 2, 2014

पहुंच गयी पाती   सृजन की मित्रों के पास !
घच घच ऐसे चर जाते जैसे पौष्टिक घास !!
जैसे पौष्टिक घास करते नित मंथन जुगाली,
लाइक कुछ कॉमेंट्स करते कुछ घूमते खाली,
मेरे मन कामना यही बस मैं लिखती जाऊं !
कोई सुने या ना सुने मैं अपने गीत सुनाऊँ !!''तनु "

Tuesday, July 1, 2014

इंटरनेट प्रेमिका ऐसी.…घंटों करते प्यार,
न जाने कब खिड़की से गुजर जाए बहार !!
गुजर जाए बहार सवेरा कब साँझ होती, 
पिज़्ज़ा बर्गर खाए नसीब न रोटी होती ,
मोटा चश्मा फिगर गँवा बनते बड़े महान !
इंटरनेट की दुनिया है  ये कैसे बचे इंसान ??… "तनु "

व्यथित मन रोती बिलखती गंगा करती है यह गान,
कल - कल इसकी लगती जैसे रोता हो कोई श्वान,
मत कचरा बहाओ इसमें रख लो थोड़ा ध्यान !!!
तन मन दोनों निर्मल करती अपनी ये गंगा महान  ...... ''तनु''


प्याज उगाये थे धरा ने बूंदों की तरह ,
आज उड़  गए प्याज़ वाष्प की तरह ,
अगर ये स्वप्न है तो कोई बात नहीं!!!
खायेगा क्या गरीब भोजन की जगह  ? "तनु "
तेरे नाम की कश्ती चाहिए भव पार उतरने को ,
तूफां के बाद वक्त लगेगा अब साहिल संवरने को , 
तेरे ही सहारे है मझधार में  नैया अटकी है !!!
ग़म की राहें हैं कंटक भरी, दर्द है !!!अब न उबरने को ..''तनु ''...........