चातक आषाढ़ में हुआ गा के बेहाल ,
आजा अब बरस हुआ जा के बेनाम ,
अकुलाई धरा पानी को ले आ तू..... सुन !!!
पावक था पावस हुआ पा के पैगाम !… ''तनु ''
आजा अब बरस हुआ जा के बेनाम ,
अकुलाई धरा पानी को ले आ तू..... सुन !!!
पावक था पावस हुआ पा के पैगाम !… ''तनु ''
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