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Monday, July 14, 2014



मन मैला है मेघ का .... उपजा मन की प्यास,
बरसे बिन क्यों हैं छाए, .  लगा नीर की आस ! 
लगा नीर की आस.  हरियाली का उत्सव भूले,
अब कैसे सुपर्णा बने. डाली लहराए झूला झूले !!
निमंत्रण भेज धरा      गगन से मांगे हरियाली !
मन मैला है मेघ का…     कैसी ये आशा पाली ?? ''तनु ''

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