Labels

Monday, July 21, 2014

प्यार की मारी है प्यास से सरसी है ,
हमारी है सबसे निराली मुहब्बत !

न गुलों की न खारों की परवाह करती,
लिए मीठी खुशबू काँटे चुभाती मुहब्बत !

मैं एहसान तले  इसके दब सा गया हूँ ,
ये खुदा है  खुदा से मिलाती मुहब्बत !

के अब चरागों को रौशन तो करलें ,
शाम ये सुरमई है और ढलती मुहब्बत !

महताब का आगोश शब सोयी पड़ी है ,  
वल्लाह !!! हो आबाद ये रूहानी मुहब्बत !! ''तनु ''

No comments:

Post a Comment