प्यार की मारी है प्यास से सरसी है ,
हमारी है सबसे निराली मुहब्बत !
न गुलों की न खारों की परवाह करती,
लिए मीठी खुशबू काँटे चुभाती मुहब्बत !
मैं एहसान तले इसके दब सा गया हूँ ,
ये खुदा है खुदा से मिलाती मुहब्बत !
के अब चरागों को रौशन तो करलें ,
शाम ये सुरमई है और ढलती मुहब्बत !
महताब का आगोश शब सोयी पड़ी है ,
वल्लाह !!! हो आबाद ये रूहानी मुहब्बत !! ''तनु ''
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